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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)
निकाह के लिए किस चीज़ को तर्जी दें? नीचे पढ़ें
आईशा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया निकाह मेरी सुन्नत है और जो कोई मेरी सुन्नत पर अमल ना करे उसका मुझसे कोई ताल्लुक़ नही, निकाह किया करो.
अनस बिन मालिक रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जब बन्दा निकाह (शादी) करता है तो अपना आधा दीन मुकम्मल कर लेता है अब उसको चाहिए जो बाक़ी (आधा दीन ) है उसमें अल्लाह से डरता रहे. अल सिलसिला साहिहा , 1895
निकाह के लिए किस चीज़ को तर्जी दे
मफ़हूम-ए-हदीस: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) फरमाते हैं, “निकाह करने में माल व दौलत हुस्न व जमाल और हसाब व नसब को तरजीह न दो। बल्कि दीनदार औरत से निकाह करके कामियाब हो जाओ,.(बुखारी हदीस: 5090)
जाहिर सी बात है दीनदारी अफ़ज़ल है तमाम ऐतबार से वरना दीनदारी को तर्जी न दे कर दुनियावी तमाम मुआमलात के मुताबिक हुए निकाह का क्या अंजाम होता है बहरहाल बताने की जरुरत भी नहीं, आये दिन होने वाले फ़ित्ने फसाद काफी है हमारी इबरत के लिए अल्लाह बचाये हमे जहालत के फ़ित्नों से.
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