जंगे अहद में जब इस्लाम के झंडे को झुकाने की कोशिश की गयी उसके बाद…

शेयर करें
  • 5.8K
    Shares

ये किस्सा है जंगे अहद का जब हज़रत मसअब बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने हाथ में इस्लाम का झंडा बुलंद किये हुए थे तब  काफ़िरों ने उस इस्लामी झंडे को झुकाने के लिये हज़रत मसअब बिन उमर पर हमला कर दिया था| हज़रत मसअब झंडे को उठाए हुए उनसे लड़ने लगे|

इब्ने क़ैय्यमह मुश्ऱिक ने यकायक आपके हाथ पर तलवार का एक वार किया कि आपका दाहिना हाथ कटकर अलग जा पडा मगर वाह रे बहादुर व शैदाए हक़ कि दूसरे हाथ में झंडा ले लिया और उसे झुकने न दिया मुश्ऱिकन ने उस झंडे को झुकाने के लिये और भी शिद्दत से हमले शुरु कर दिये|

क़रीब पहुंचकर झंडा हाथ से छीन लेने की कोशिश करते रहे मगर आप उन्हें अपने नज़दीक तक न आने देते और यह सब कुछ एक ही हाथ से करते रहे लेकिन कब तक लडते आखि़र आप का दूसरा हाथ भी कटकर गिर पडा़ और सदाक़त के इस परवाने ने कटे हुए हाथों से झंडे को सीने से चिमटा लिया और झंडे को झुकने न दिया|

मुश्ऱिकन ने जब देखा कि दोनों हाथ कट जाने पर भी झंडा नहीं गिरा तो इब्ने कै़य्यमह ने तैश में आकर तलवार फेंक दी , ज़रा फा़सले से एक एेसा तीर मारा कि सीने में पेवस्त हो गया !! हज़रत मसअब बिन उमैर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इस्लाम की इज़्ज़त को सीना से चिमटाए हुए जन्ऩत को सिधारे|

लडा़ई के खा़त्मा पर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत मलअब की लाश के करीब आये और उनके नूरानी चेहरे को देखकर यह आयत तिलावत फ़रमाई तर्जमा: “मोमिन में ऐसे भी हैं जिन्होने अहद को पूरा किया जो उन्होंने अपने ख़ुदा से बांधा था|

फिर शहीदे हक़ की लाश को मुखा़तिब करके फ़रमाया… मैंने तुमको मक्का में देखा है ! जहां तुमसे ज़्यादा खूबसूरत और खुशलिबाश कोई न था ! यह आज क्या हुआ कि तुम्हारे चेहरे पर गर्द पडी है, बाल उलझे हुए हैं !! बेशक अल्लाह का रसूल गवाही देता है कि तुम शोहदा क़्यामत के रोज़ अल्लाह के हुजूर में रहोगे|

Comments

comments