मुस्लिम साइंटिस्ट :अजज़ा फायद ने खोज की, कचरे से करोडो रूपये का बायोफ्यूल बनाना

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मिस्र की एक मुस्लिम नोजवान लड़की ने पलास्टिक के कचरे से बायो-फ्यूल बनाने के एक सस्ता और नायाब तरीका खोज निकाला है जो दुनिया भर के लोगो के करोडो डॉलर्स बचा सकता है।

अजज़ा फायद का यह आईडिया मिस्र पेट्रोलियम रिसर्च इंस्टिट्यूट के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इंस्टिट्यूट ने इस टीन ऐज लड़की को अपनी लैब में जाने और अपने प्रयोग यानि प्लास्टिक कचरे से बायोफ्यूल बनाने, को जारी करते रहने की अनुमति भी देदी है

फ़ायद ने सस्ता और प्रचुर उत्प्रेरक अलुमिनिसिलिकेट खोज निकाला है जो प्लास्टिक के कचरे को मीथेन और प्रोपेन गैस में बदलने की प्रक्रिया को बहुत सस्ता बनाता है, बाद में उसको इथेनॉल में बदला जा सकता है, जिसे कई वैज्ञानिक बायोफ्यूल कहते है|

क्योकि फ़ायद ने जो आर्गेनिक केमिकल प्लास्टिक के कचरे से निकाला है वो वही केमिकल है जो सब्ज़ियों से निकाला जाता है और जिससे इथेनॉल बनाया जाता है।

इस प्रक्रिया में दुसरे केमिकल भी उत्पन्न होते है जिनको रीसायकल या विक्रय करके पूरी प्रक्रिया को सस्ता बनाया जा सकता है।

मिस्र हर साल लाखो टन प्लास्टिक का कचरा उप्तन्न करता है और एक अनुमान है कि फायद के इस तरीके से प्रतिवर्ष 78 मिलियन डॉलर यानि 5 अरब 22 करोड़ 05 लाख 36 हज़ार भारतीय मुद्रा का बायो फ्यूल उत्पन्न किया जा सकता है।

फायद का मानना है कि वह 163 डॉलर का कुल फायदा मिस्र को प्रदान करा सकती है। यूरोपीय यूनियन कांटेस्ट फॉर यंग साइंटिस्ट ने भी फायद के इस अविष्कार के लिए उन्हें इनाम देकर प्रोत्साहित किया है। फिलहाल वह इस तरीके के पेटेंट के लिए कार्य कर रही है।

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