अल्लाह के रसूल फ़रमाते हैं, ऐसे आमाल वाले होंगे वो, जिन पर दोज़ख की आग भी हराम हो जाएगी

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अल क़ुरान: लोगों से अपना रुख़ ना फेर और ज़मीन पर इतरा कर ना चल बेशक अल्लाह किसी तकब्बुर करने वाले , इतराने वाले को पसंद नही करता अल क़ुरान : सुरह लुक़मान, (31), # 18

अब्दुल्लाह बिन मसूद रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया क्या मैं तुमको ऐसे लोगों के मुताल्लिक न बताऊँ जिन पर दोज़ख की आग हराम है और वो आग पर हराम हैं , हर वो शख्स जो अपने करीब के लोगों के लिए आसानी और सहूलत पैदा करता है. (उन सब पर दोज़ख की आग हराम है)
जामिया तिरिमिज़ी , जिल्द 2, हदीस 377-हसन 

जुमा की फ़ज़ीलत और आदाब हदीस की रौशनी मे

✦ 1. अल क़ुरान: एह ईमान वालों जब ज़ूमा के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए तो अल्लाह के ज़िक्र की तरह तेज़ी से आ जाओ और खरीद और फ़रोख़्त (कारोबार) छोड़ दो तुम्हारे लिए यही बात बेहतर है अगर तुम इल्म रखते हो. फिर जब नमाज़ अदा हो जाए तो ज़मीन में मुन्ताशिर हो जाओ (यानी चलो फ़िरो) और अल्लाह का फ़ज़ल (यानी रिज़क़) तलाश करो और अल्लाह को बहुत याद करो ताकि तुम फ़लाह पाओ. अल क़ुरान, सुरह ज़ूमा (62), आयत : 9-10

✦ 2. अल कुरान : बेशक अल्लाह सुबहानहु और उसके फ़रिश्ते नबी सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरुद भेजते हैं , एह ईमान वालो तुम भी उन पर दुरुद और सलाम भेजा करो. सुरह अल-अहज़ाब (33) , आयत 56

✦ 3. हज़रत औस बिन औस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम्हारे तमाम दिनों में ज़ूमा का दिन सबसे अफ़ज़ल है की इस दिन हज़रत आदम अलैहि सलाम को पैदा किया गया और उसी दिन उनकी रूह क़ब्ज़ की गयी और इसी दिन सूर फूँका जाएगा और इसी दिन सब बेहोश होंगे इसलिए इस रोज़ (ज़ूमा को) मुझ पर ज़ियादा से ज़ियादा दुरुद भेजा करो क्यूंकी तुम्हारा दुरुद पढ़ना मुझ पर पेश किया जाता है.

लोगों ने कहा या रसूल-अल्लाह सलल्लाल्हू अलैहि वसल्लम हमारा दुरुद पढ़ना आप पर किस तरह से पेश होगा जबकि आप तो मिट्टी हो गये होंगे,तो आप सलल्लाल्हू अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह ताला ने अम्बिया कराम के जिस्म को मिट्टी पर हराम कर दिया है. सुनन अबू दावूद जिल्द 1,1035 – सही

✦ 4. हज़रत अनस बिन मलिक रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शक्ष मुझ पर एक मर्तबा दुरुद भेजेगा तो अल्लाह सुबहानहु उस पर 10 मर्तबा रहमत भेजेगा और उसके 10 गुनाह माफ़ होंगे और 10 दरजात बुलंद होंगे. सुनन आन नसाई, जिल्द 1, 1300-सही

✦ 5. अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब ज़ूमा का दिन आता है तो फरिश्ते मस्जिद के दरवाज़े पर आने वालों का नाम लिखते हैं सबसे पहले आने वाला ऊँट की क़ुर्बानी देने वाले की तरह लिखा जाता है.

उसके बाद आने वाला गाय की क़ुर्बानी देने वाले की तरह फिर मैंडे (भेड़) की क़ुर्बानी का सवाब मिलता है. उसके बाद मुर्गी का, उसके बाद अंडे का लेकिन जब इमाम (ख़ुतबा देने के लिए) बाहर आ जाता है तो ये फरिश्ते अपने दफ़्तर बंद कर देते हैं और ख़ुतबा सुनने में मशगूल हो जाते हैं. सही बुखारी, जिल 2, #929

✦ 6. सलमान फ़ारसी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसने ज़ूमा के दिन गुसल किया और खूब पाकी हासिल की और तेल या खुश्बू इस्तेमाल की फिर ज़ूमा के लिए चला और दो आदमियों के बीच में ना घुसा (यानि मस्जिद में बैठे लोगों के ऊपर से फलांगता हुआ ना गया )

और जितनी उसकी किस्मत में थी नमाज़ पढ़ी फिर जब इमाम बाहर आया और ख़ुतबा शुरू किया तो खामोश हो गया,उसके इस ज़ूमा से गुज़रे ज़ूमा तक के तमाम गुनाह बख्श दिए जाएँगे. सही बुखारी, जिल्द 2, 910

✦ 7. ईब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ये दिन (ज़ूमा ) ईद का दिन है जो अल्लाह ने मुसलमानो को अता फरमाया है, इसलिए जो ज़ूमा के लिए आए तो गुसल कर ले और खुश्बू मिल जाए तो लगा ले और तुम पर मिस्वाक भी है. सुनन इब्न माजा , जिल्द 1, 1098-हसन

✦ 8. अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो (मुसलमान) जुमा के दिन सुराह अल-कहफ़ की तिलावत करे तो उसके लिए इस जुमा से अगले जुमा तक एक नूर चमकता रहेगा. मुस्तदरक हाकीम 3392-सही सही अल-जामीअ 6470

✦ 9. रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने मिंबर पर से इरशाद फरमाया लोगों को नमाज़ ज़ूमा तर्क करने (छोड़ देने) से बाज़ रहना चाहिए नही तो अल्लाह ताला उनके दिलों पर मुहर लगा देगा फिर वो गाफिलिन में हो जाएँगे. सुनन नसाई, जिल्द 1, # 1373-सही

✦ 10. अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया पाँचो नमाजें और (एक) ज़ूमा (दूसरे) ज़ूमा तक का कफ्फारा है (उन गुनाहों से) जो इनके दरमियाँ हो जाते हैं जब तक की कोई कबीरा गुनाह ना करे. सही मुस्लिम, जिल्द1 , 550

✦ 11. अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की अबू अल-क़ासिम (यानी रसूल-अल्लाह) सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया ज़ूमा में एक घड़ी ऐसी आती है की जो मुसलमान भी उस वक़्त खड़ा होकर नमाज़ पढ़े और अल्लाह से कोई खैर माँगे तो अल्लाह सुबहानहु उसको ज़रूर देगा. सही बुखारी, जिल्द 6, 5294

✦ 12. जाबिर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया ज़ूमा का दिन 12 घंटे का है जिसमे कोई मोमीन बंदा अल्लाह सुबहानहु से कुछ माँगे तो अल्लाह उसको ज़रूर अता फरमाते है , तुम लोग उसको असर के बाद आखरी वक़्त में तलाश करो. सुनन नसाई, जिल्द1,1392-सही

✦ 13. अनस बिन मलिक रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया ज़ूमा के दिन (दुआ क़ुबूल होने की) वो मुबारक घड़ी को असर और गुरुब ए आफताब (यानि मगरिब) के दरमियान तलाश करो. जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1, 471-सही

✦ 14. अब्दुल्लाह बिन अम्र रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस मुसलमान की वफात ज़ूमा के दिन या ज़ूमा की रात को होती है उसको अल्लाह सुबहानहु क़ब्र के फितने से महफूज़ रखता है. जामिया तिर्मीज़ी, जिल्द 1, 1063-हसन

✦ 15. अब्दुल्लाह इब्न उमर रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया ज़ूमा में 3 तरह के लोग आते हैं, एक तो वो जो वहां आकर बेहूदा बात करे, उसका हिस्सा यही है (यानी उसको कुछ सवाब ना मिलेगा) और दूसरा वो है.

जो वहाँ आकर अल्लाह सुबहानहु से दुआ करे अगर अल्लाह चाहेगा तो उसकी दुआ क़ुबूल करेगा और चाहेगा तो नही करेगा, और तीसरे वो है जो वहाँ आकर खामोशी से बैठ जाए ना लोगों की गर्दनें फाँद कर आगे बड़े और ना किसी को तकलीफ़ पहुचाए तो उसका ये अमल इस ज़ूमा से लेकर अगली ज़ूमा तक बल्कि और तीन दिन ज़ियादा तक के लिए गुनाहों का कफ़्फ़रा बन जाएगा, क्यूंकी अल्लाह सुबहानहु का इरशाद है.

की जो शख्स एक नेकी करता है उसको 10 गुना सवाब मिलेगा सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1 ,1101-हसन

✦ 16. जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की एक शख्स आया जब रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ज़ूमा का ख़ुतबा दे रहे थे , आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने पूछा एह फ़लाह क्या तुमने नमाज़ पढ़ी उसने कहा नही तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया उठो और 2 रकात नमाज़ अदा करो
सही बुखारी, जिल्द 1, 930

✦ 17. जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया की जब कोई ज़ूमा के दिन आए और इमाम ख़ुतबा के लिए बाहर आ गया हो तो भी 2 रकात पढ़ ले.
सही मुस्लिम, जिल्द 2, 2022

✦ 18. जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की सुलैक गत्फानी रदी अल्लाहू अन्हु ज़ूमा के दिन मस्जिद में आए तब रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम मिंबर पर तशरीफ़ फरमा थे सुलैक गत्फानी रदी अल्लाहू अन्हु बैठ गये और नमाज़ ना पढ़ी तो आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने पूछा , क्या तुमने 2 रकात नमाज़ पढ़ी तो उन्होने कहा नही फिर आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया उठो और 2 रकात नमाज़

अदा करो और मुख़्तसर (छोटी करके) पढ़ो फिर आप सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जब तुम में से कोई शख्स ज़ूमा के दिन आए और इमाम ख़ुतबा दे रहा हो तो (भी) उसको 2 रकात (नमाज़) पढ़ना चाहिए और उसको मुख़्तसर कर देना चाहिए. सही मुस्लिम, जिल्द 2, 2024

✦ 19. अबू हुरैरा रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जब तुम में से कोई ज़ूमा की (फ़र्ज़) नमाज़ पढ़ चुके तो उसे चाहिए की उसके बाद चार रकात नमाज़ अदा करे
सुनन नसाई जिल्द 1, 1429-सही

✦ 20. तारिक इब्न शिहाब रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया ज़ूमा की नमाज़ जमात के साथ हर मुसलमान पर वाजिब है सिवाए चार के , गुलाम पर , औरत पर, बच्चे पर और बीमार पर ( ज़ूमा की नमाज़ वाजिब नही) सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1, 1055-सही

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