बग़दाद (इराक़) एक गोल शहर हुआ करता था, जो उस दौर में तहज़ीबी के गढ़ के नाम से…

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10वीं सदी मे बग़दाद(इराक़) एक गोल शहर हुआ करता था जो के दौरे ख़िलाफ़त ए अब्बासिया मे दुनिया के तहज़ीबी नेज़ाम का गढ़ था.

अपने चरम पर अब्बासियों ने उमय्यदों के विपरीत अपने साम्राज्य में ईरानी तत्वों को समावेश किया और उनके काल में इस्लामी विज्ञान, कला तथा ज्योतिष में काफ़ी नए विकास हुए.

सातवीं स.ई. में इसलाम की स्थापना के बाद ईरानियों और अरबों की टक्करों के फलस्वरूप इराक पर अरब के खलीफाओं की हुकूमत कायम हो जाती है. इराक के पुराने नगर नष्ट हो चुके थे.

अरबों ने जिन कई नए शहरों की दागबेल डाली उनमें कूफ़ा (638 ई.), बसरा और दजला के तट पर बगदाद (सन् 762ई.) मुख्य हैं.

हजरत अली जब इसलाम के खलीफा थे, उन्होंने कूफ़ा को अपनी राजधानी बनाया. अब्बासी खलीफाओं के जमाने में बगदाद अरब साम्राज्य की राजधानी बना.

खलीफा हारूँ रशीद के समय बगदाद ज्ञान विज्ञान, कला कौशल, सभ्यता और संस्कृति का एक महान केंद्र बन गया. ज्ञानी और पडिंत, दार्शनिक और कवि, साहित्यिक और कलाकार एशिया, यूरोप और अफ्रीका से आ आकर बगदाद में जमा होने लगे.

अंतिम अब्बासी खलीफा मुतास्सिम के समय, सन् 1258 ई. में, चंगेज खाँ के पौत्र हलाकू खाँ के नेतृत्व में मंगोलों ने बगदाद पर आक्रमण किया तथा सभ्यता और संस्कृति के उस महान केंद्र को नष्ट कर दिया.

Illustration: Jean Soutif / Science Photo Library
source: The Guardian

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