हज़रत उमर रजि. ने दुनिया को दिए ऐसे सिस्टम, जो आज भी प्रचलित हैं और हमेशा रहेंगे, पढ़े और शेयर करें

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पूरी दुनिया के लोग सिकंदर को महान मानते है लेकिन आज हम आपको उमर फारूक रज़ी अल्लाह की जीत और उपलब्धियों की तुलना करने की दावत देता है.

जरा सोचिए कि सिकंदर राजा का बेटा था उसे दुनिया के सबसे अच्छे लोगों ने घुड़वारी सिखाई थी, उसे अरस्तू जैसे उस्तादों की सुहबत हासिल थी. जबकि इसकी तुलना में उमर फारूक रज़ी. की 7 पुश्तों में कोई राजा नहीं हुआ था, भेड़ और बकरी चराते बड़े हुए थे.

इसके बावजूद उमर फारूक ने दुनिया को ऐसे सिस्टम दिए जो आज तक पूरी दुनिया में प्रचलित है. उमर ने दुनिया को यह सिस्टम दिए…

उमर ने दुनिया को सन हिजरी दिया. जेल की कल्पना दी, पुलिस विभाग दिया, सिंचाई प्रणाली स्थापित की, अपने दुनिया में सबसे पहले दूध पीते बच्चों, विकलांगों, विधवाओं और बेसहारा के लिए वजीफा निर्धारित किया. अपने नाइंसाफी करने वाले जजों को सजा देने का सिलसिला भी शुरू किया. उमर की मेज पर कभी दो सालन नहीं रखे गए.

जमीन पर सरके नीचे ईंट रख कर सो जाते थे, आपके कुर्ते पर 14 पेवंद थे, जब आप किसी को राज्येपाल बनाते तो उसे नसीहत करते थे कि कभी तुर्की घोड़े पर नहीं बैठना, पतले कपडे न पहनना.

लेकिन अफ़सोस आज हम यह भूल गए कि कोई उमर फारूक भी थे जिनके बारे में अल्लाह के नबी ने फ़रमाया था मेरे बाद अगर कोई नबी होता तो वह उमर होता.

मुहम्मद साहब के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से थे। वह हज़रत अबु बक्र के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गये। मुहम्मद साहब ने फारूक नाम की उपाधि दी थी। जिसका अर्थ सत्य और असत्य में फर्क करने वाला।

मुहम्मद साहब के अनुयाईयों में इनका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में दूसरे ख़लीफा चुने गए। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में सबसे सफल ख़लीफा साबित हुए।

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