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बिजिंग: रहमा एक युवा चीनी महिला हैं जो हिजाब पहनती हैं। उनका कहना है कि हिजाब की वजह से उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
बीबीसी न्यूज़ पोर्टल पर जारी एक वीडियो में रहमा कहटी हैं कि ‘मैं हिजाब पहनती रहूंगी और अपने धार्मिक सिद्धांतों पर डटी रहूंगी…मैं चीनी महिला में ये चिंग फिंग हूँ… मेरा इस्लामी नाम रहमा है जिसका मतलब तोहफा होता है.
मेरी मुस्लिम पहचान चीन में अलग और असाधारण है, जिसकी वजह से बहुत से लोग मुझे गलत समझते हैं।’ मुस्लिम घराने में पैदा हुईं.
रहमा कहती हैं कि 2 करोड़ 30 लाख मुसलमान आबादी वाले चीन में हिजाब पहनने को बुरा समझा जाता है। उन्होंने कहा कि मैं मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए चीनी हिजाबियों का चेहरा बनना चाहती हूँ।
कालेज में मुझे इस्लाम और इस्लामी को कल्चर गहराई से पढ़ने का मौका मिला। यह वह मौक़ा था जब मैंने हिजाब पहनने का फैसला किया…शुरू शुरू में लोग मुझे समझ नहीं सके।
उन्होंने मुझे साइकोलोजीकल काउंसिलिंग के लिए भेजा, जहाँ वह पूछते थे कि क्या मुझे किसी गिरोह ने भटका दिया है? या मेरा उससे कोई संबंध है, हिजाब पहनने से मुझे नौकरी ढूंढने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सबसे पहले मैंने टीचर की नौकरी की जिसमें मैं अपने क्षेत्र चिंघाई के स्कूल में चीनी भाषा पढ़ाती थी लेकिन स्कूल नहीं चाहता था कि कोई टीचर हिजाब पहने। उनके ख्याल में उसका बुरा असर पड़ सकता था।
बाद इसके रहमा 2002 में बीजिंग शिफ्ट हो गयीं। अब यहाँ वे एक स्टूडियों चला रही हैं जिसमें हिजाब और इस्लामी ड्रेस डिज़ाइन किए जाते हैं। वह कहती हैं कि मैं मुस्लिम महिलाओं की सुन्दरता को निखारने के लिए अधिक खुबसुरत ड्रेस तैयार करना चाहती हैं।
रहमा हिजाब की वजह से अक्सर ध्यान आकर्षित करती हैं जो ज्यादतर नकारात्मक होते हैं। वह उम्मीद करती हैं कि मुस्लिम महिलाएं विश्वास से हिजाब पहन सकेंगी। और ऑफिस में आत्मविश्वास के साथ रह सकेंगी।
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