हुज़ूर (स.अ.व.) ने फ़रमाया, मुझपर दुरुद भेजते रहा करो, क्योंकि जब कोई दरूद पढता है तब वो …..

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अबु हुरैरा रदि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल-अल्लाहु अलैहि वसलम ने फ़रमाया की मुझपर दुरुद भेजते रहना क्योंकि तुम्हारा दुरुद मुझतक पहुँच दिया जाता है,चाहे तुम किसी भी जगह हो. सुनन अबु दावूद,जिल्द 2, 274-सही

रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम के खादिम, अबू सलाम रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो भी मुसलमान या इंसान (या बंदा) सुबह शाम ये कलिमात कहे.

रदयतू बिल्लाहि रब्बन वा बिल-इस्लामी दीनन वा बी मुहम्मदीन नबीययन तो अल्लाह सुबहानहु उसको क़यामत के दिन ज़रूर खुश फरमा देंगे तर्जुमा: मैं राज़ी हूँ अल्लाह के रब होने पर, इस्लाम के दीन होने पर और मुहम्मद सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम के नबी होने पर सुनन इब्न माजा, ज़ील्द 3, 751-हसन सही इब्न हिब्बान , 870

نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب کوئی مسلمان یا کوئی آدمی یا کوئی بندہ صبح و شام یہ کہتا ہے میں راضی ہوں اللہ کے رب ہونے، اسلام کے دین ہونے، اور محمد صلی اللہ علیہ وسلم کے نبی ہونے سے تو اللہ تعالیٰ قیامت کے دن اس کو ضرور خوش فرما دینگے
سنن ابن ماجہ جلد ٣ -٧٥١ – حسن
صحيح ابن حبان ٨٧٠

Holy koran

अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह ﷺ ने फरमाया जिसने ज़ूमा की रात सुरह कहफ़ पढ़ी उसके और बैतुल्लाह के दरमियाँ नूर की रोशनी हो जाती है ( जुमेरात को मगरिब के बाद से ज़ूमा की रात शुरू हो जाती है) सही अल-जामेअ , 6471, सुनन अल-दारिमी, 3407-सही अल बैहिक़ी, शुअब अल-ईमान, 2231-हसन

ابوسعید خدری رضي اللہ تعالی عنہ بیان کرتے ہیں کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا جس نے جمعہ کی رات سورۃ الکھف پڑھی اس کے اور بیت اللہ کے درمیان نورکی روشنی ہوجاتی ہے
صحیح الجامع ٦٤٧١
سنن دارمی ٣٤٠٧-صحیح
شعب الإيمان للبيهقي ٢٢٣١-حسن
جمعہ کی رات جمعرات کومغرب سے شروع ہوتی ہے

रसूल-अल्लाह सलअल्लाहु अलैही वसल्लम दो सजदों के दरमियान ये दुआ पढ़ते थे

अल्लहुम्मगफीरली, वा अरहमनि , वा आफिनी, वा अहदिनी, वा आरज़ुक़्नी

اللَّهُمَّ اغْفِرْ لِي وَارْحَمْنِي وَعَافِنِي وَاهْدِنِي وَارْزُقْنِي

एह अल्लाह मुझे बख्श दे और मुझ पर रहम फरमा और मुझे आफियत दे और मुझे हिदायत दे और मुझे रिज़क़ आता फरमा
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 1 , 842 -हसन

नोट: जब कोई नमाज़ में पहला सज़दा कर ले तो उसके बाद वापस सज़दे से सिर उठाकर ये दुआ पढ़े उसके बाद दूसरा सज़दा करे

 

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