हुज़ूर (स.अ.व.) ने फ़रमाया जिस शख्श ने अपनी तीन बेटियों की या तीन बहनों की परवरिश…

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अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिस ने अपनी तीन बेटियों की या तीन बहनों की, या दो बेटियों की या दो बहनों की उनकी वफात तक परवरिश की. (एक रिवायत में है की वो बड़ी हो जाए और दूसरी रिवायत में है की वो बालिग हो जाए तब तक)

या उनकी परवरिश करते हुए उसके खुद की वफात हो गयी तो वो और मैं जन्नत में इन दो उंगलियो की तरह होंगे फिर आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने शहादत वाली और दरमियाँ की उंगली के साथ इशारा फरमाया अल सिलसिला अस सहिहा. 1989 मसनद अहमद 12041-हसन

अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु ने फरमाया जिसकी 3 बीवियां या 3 बहनें हो , या 2 बेटियां या 2 बहनें हो और वो उनसे अच्छा सुलुक़ करे और उनके बारे में अल्लाह सुबहानहु से डरे तो उसके लिए जन्नत है. जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1 , 1975-सही

अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की एक बार रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम अबू ज़र रदी अल्लाहू अन्हु से मिले और फरमाया एह अबू ज़र क्या मैं तुम्हे दो खूबियाँ ना बताऊँ जो करने में बहुत हल्की हैं.

और तराजू में बहुत भारी हैं उन्होने कहा क्यू नही या रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम (ज़रूर बताईए), आप सल अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तुम अपने उपर अच्छा अख़लाक़ और ज़्यादा खामोश रहना लाज़िम कर लो , कसम है उस ज़ात की जिसके हाथ में मेरी जान है मखलूक़ का कोई दूसरा अमल उनके बराबर नही. अल-सिलसिला-अस-सहिहा, हदीस # 202

अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु ने फरमाया जिसकी 3 बीवियां या 3 बहनें हो , या 2 बेटियां या 2 बहनें हो और वो उनसे अच्छा सुलुक़ करे और उनके बारे में अल्लाह सुबहानहु से डरे तो उसके लिए जन्नत है. जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1 , 1975-सही

इब्न अब्बास रदी अल्लाहू अन्हुमा से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फ़रमाया जिस ने शाम के वक़्त ये दुआ पढ़ी तो उसने उस दिन का शुक्र अदा कर दिया.

اللَّهُمَّ مَا أمسى بِي مِنْ نِعْمَةٍ ، أَوْ بِأَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ ، فَمِنْكَ وَحْدَكَ لا شَرِيكَ لَكَ ، فَلَكَ الْحَمْدُ وَلَكَ الشُّكْرُ

अल्लाहुम्मा मा अमसा बी मीन निअमतीन अव बी-अहदिन मीन खलक़ीका, फा मिनका वाहदका ला शरीका लका ,फलकाल-हम्द , वा लकाअश-शुक्र.

या अल्लाह शाम को जो नैमत मेरे पास है या तेरी किसी मखलूक़ के पास है वो तेरी ही दी हुई है , तू अकेला है तेरा कोई शरीक नही , तेरे ही लिए सारी तारीफें हैं और तेरे ही लिए शुक्र है. सही इब्न हीब्बान , 868-हसन, शुअब-उल-ईमान , अल बैहिक़ी 4053-सही, अल-सुनन अल-कुबरा ,अन-नसाई , 9447-सही.

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