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यह बात पुराने जमाने की जब लोग महिलाओं को पाकीजा नज़र से देखा करते थे. बात उस जमाने की है जब रिश्ते सम्मानजनक हुआ करते थे. औरतों की इज्जत को सम्मान दिया जाता था. लेकिन आजकल का का माहौल तो बिल्कुल बदल ही गया है.
इस फ़ोटो (पेंटिंग) में आप एक चेचन महिला को देख सकते हैं| पता है आपको इसने अपने सर को ना ढक कर अपने हिजाब को क्यों अपने हाथ मे ले रखा हुआ है ? और क्यों ये महिला हथियारबंद मर्दों के बीच में खड़ी है, और मर्दों ने महिला की जानिब से मुंह क्यों फेर रखा है ?
ये कॉकस (क़फ़क़ाज़) जिसका हिस्सा आज दाग़िस्तान, चेचेनिया सहीत कई इलाक़े हैं, वहां आपसी रंजिशों और ख़ून खराबा रोकने के लिए इस तरह के ट्रिक का उपयोग किया जाता था। जब ये महिलाओं को ये लगने लगता था की अब मर्दों का दो गिरोह अब आपस में ख़ून खराबा कर लेगा तो वो लड़ते हुए लोगों की भीड़ में घुस जाती थी।
और आते ही अपने हिजाब को उतार लेती थीं, और औरतों के सम्मान में तमाम मर्द अपना मुंह दुसरे जानिब फेर लेते हैं, जिससे लड़ाई ख़ुद ब ख़ुद रुक जाती थी।
उस्मानी तुर्कों के ज़ेर ए निगरानी रहने वाला ये इलाक़ा लड़ाकु क़बाईलियों का घर है, जिनके जीवन का एक ही मक़सद है लड़ना। रुस से पिछले 400 साल से लड़ रहे हैं।
वैसे इस्लामी नज़रिया में ग़ैर-महरम और महरम का कंसेप्ट बिलकुल ही किलियर है, पर फ़हाशत के इस दौर में ग़ैर-महरम और महरम का कंसेप्ट लोगों के बीच से जा रहा है।
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