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हालांकि दुनिया की सबसे बड़ी तहरीक इख़्वानुल मुस्लिमीन है और सबसे ताक़तवर शस्त्र तहरीक #हमास है। लेकिन बैतुल मुक़द्दस की गिरफते यहूद से आज़ादी की जिम्मेदारी हमारे ( पश्चिमी अफगानिस्तान , सरहदी पाकिस्तान , हिंदुस्तान ) कंधों पर है।
इस बार दज़्ज़ाल के कत्ल , इमाम मेहंदी के ज़हूर और इमाम मेहंदी के ट्राइबल के रूप में हम लोग यह ज़मीन किस तरह तैयार की गयी है अल्लामा इक़बाल रह, शेखुल हिन्द रह, अबुल आला मौदूदी रह,अबुल कलाम आज़ाद रह, एक दो नाम और हैं।
इनमें से कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनकी मैंने ता ज़िन्दगी उनके सेकुलरिज़्म को लेकर मुख़ालिफ़त की है लेकिन ख़ुदा गवाह है कि मैंने अपनी सोंच को लात ओ मनात नही बनने दिया है जब जब इनक्शाफ हुआ तब तब मैंने इस बुत को तोड़ा है ।
ना यह लेख खास तौर पर इमाम मेहंदी के ज़हूर पर होगी और न यह किसी अलग अलग उलमाओं की मसलकी सरगर्मियों पर होगी बल्कि यह इन चंद नामो के दौरे कदीम में की गई कारगुजारियों पर बेस्ड होगी जो हमे आज मुतास्सिर करके आने वाले कल में किस तरह बैतुल मुक़द्दस का रास्ता हमवार कर रही है ।
और तभी यह मुमकिन हो पायेगा की इमाम मेहंदी को ट्राइबल के रूप में यही उलमा रॉ मेटेरियल इखट्ठा करके दे रहे हैं कुछ बातें जानना बाकी हैं जल्द आपको मिल जाएगी इंशाअल्लाह।
ऐसी पोस्टों का मक़सद आपसे अपने इल्म का लोहा मनवाना मनसूब नही होता है और सेलेब्रिटी होना एक मस्नूई बात है जो कि हक़ीक़त से बहुत दूर है बल्कि यह वह जिम्मेदारी है जो किसी न किसी को तो अदा करना है ताकि आप आने वाले वक्त में अपनी जिम्मेदारी निभा सकें.
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