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दीन से जुडी सभी बातों की दावत देना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है ,अल्लाह क़ुरान पाक में फरमाते है की दीन के लिए मेहनत किया करो जैसा मेहनत करने का हक़ है अल्लाह ने दीन के लिए तुमको चुन लिया है। सूरह हज 78 से मालूम हुआ की अल्लाह ने दीन की दावत देने को हमारे ऊपर फ़र्ज़ किया है। दीन की दावत देने के लिए चार बातें ज़रूरी है इल्म ,अक्ल ,हिकमत और तौफ़ीक़।
दायी के अहकाम
1 -इल्म है अक्ल नहीं
इसलिए जंहा 10 मिनट बात करनी है वंहा एक घंटा लगा देते है और जंहा एक घंटा बात करनी है वंहा 10 मिनट में बात ख़त्म कर देते है जिससे दावत देना नुक्सान ही हो जाता है।
2 -इल्म है अक्ल है मगर हिकमत नहीं
किस जगह क्या बात करनी है कैसे लोगो को समझाया जाये नहीं आता। ऐसे दायीं सिर्फ अपनी बात कहते रहते है। जगह सही वक़्त सही मगर बात गलत करते है। जगह गलत वक़्त सही बात ही नहीं करते है । जगह गलत वक़्त गलत बात सही कर लेते है। जगह गलत वक़्त गलत बात भी गलत करते है ।
3 -इल्म है अकल है हिकमत है मगर अल्लाह की तरफ से तौफीक नहीं
इस जंहा में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अल्लाह दीन का काम लेना ही नहीं चाहते है
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