नमाज़ से पहले क्यों होती है आज़ान, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

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सिंगर सोनू निगम ने लाउडस्पीकर से अजान देने पर सवाल उठाए थे, इसके बाद धार्मिक कामों के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसको सही ठहराया तो वहीं कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया।

सोशल मीडिया पर भी एक बहस छिड़ गई थी, जिसमें कुछ लोगों ने सोनू निगम का समर्थन किया तो वहीं कुछ ने उनकी आलोचना की। सोनू निगम ने एक ट्वीट करके कहा था, ‘मैं मुस्लिम नहीं हूं, फिर अजान की आवाज के साथ सुबह क्यों उठूं। ये धार्मिक गुंडागर्दी कब बंद होगी?

हालांकि, बाद में सोनू निगम ने सफाई दी थी कि मैंने ना केवल अजान के लिए लाउडस्पीकर की बात कही थी, बल्कि हर एक धार्मिक कार्य में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाई थी।

ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि नमाज से पहले दी जाने वाली अजान की शुरुआत कब और कैसे हुई। इस्लाम के जानकारों के मुताबिक मदीना में नमाज पढ़ने के लिए सबसे पहले मस्जिद बनाई गई, उस वक्त यह जरुरत महसूस हुई कि लोगों को नमाज के लिए कैसे बुलाया जाए और उन्हें कैसे बताया जाए कि नमाज का वक्त हो गया है। इसके लिए पैगंबर मोहम्मद ने इस मुद्दे पर धर्म मित्रों से सलाह ली।

धर्म मित्रों ने इस मुद्दे पर कई सुझाव दिए। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी ऊंची जगह पर आग जला दी जाए या फिर नमाज के समय कोई झंडा बुलंद किया। इसके अलावा उन्होंने सुझाव दिए कि यहूदियों की तरह बिगुल बजाया जा सकता है या फिर ईसाइयों की तरह घंटियां बजाई जा सकती है।

लेकिन इनमें से किसी पर भी आम सहमति नहीं बन पाई। इसकी वजह से उस वक्त पैगंबर मोहम्मद और धर्म मित्र चिंतित थे। इसी बीच रात में अब्दुल्लाह बिन जैद ने एक सपना देखा। जिसमें उन्होंने देखा कि किसी ने उन्हें अजान और इकामत के शब्द सिखाए हैं। जब सुबह हुई तो उन्होंने पैगंबर मोहम्मद से यह बात बताई।

इसके बाद पैगंबर मोहम्मद ने जैद से कहा कि तुम हजरत बिलाल को कहो कि इन शब्दोंस को पढें, हजरत बिलाल की आवाज बुलंद थी। इसके बाद नमाज के बाद अजान दी जाने लगी और लोगों को नमाज के लिए बुलाने के लिए यह तरीका अपनाया गया।

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