सऊदी के ‘इमाम’ के वायरल विडियो का सच आया सामने, जिसे भक्तों ने एक अफवाह के साथ…

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सोशल मीडिया पर सउदी अरब का एक विडियो बेतहाशा वायरल हो रहा है. जिसमे देखने पर लगता है की जुमा की नमाज़ से पहले ख़ुतबा देने वाले को जबर्जस्ती लोग बहार पकद कर खींचते हैं. और ये सब अलग अलग कुछ इस तरह के स्टेटस के साथ पोस्ट किया जाता है.

दरअसल सोशल मीडिया पर लोगों को पता तो होता नहीं है की फलां विडियो या कोई फोटो की सच्चाई क्या है और भोले भले लोग प्रोपगेंडा चलाने वालों के झांसे में आ जाते हैं. ऐसा ही कुछ दिन पहले सीरिया के कुछ फर्जी फोटो सामने आये थे.

सच्चाई दरअसल ये है दोस्तों की एक मानसिक रोगी मस्जिद के मिंबर पर चढ़ गया। और इमाम साहब के आने से पहले ही उसने ख़ुतबा देना चालू कर दिया. और फिर इसके बाद मस्जिद की इंतज़ामिया कमेटी ने प्रशासन के मदद से उस को ज़बरदस्ती वहाँ से हटाया.

वहां मस्जिद में बैठे हुए कुछ लोगों ने उस दौरान अपने फ़ोन से इस वाकये का वीडियो बना लिया और फर इसको शेयर किया. लेकिन अपने हरामीपन में अव्वल भारतीय सोशल मीडिया के सामने जब ये विडियो आया तो उन्होंने इस विडियो को अलग अलग अफवाहों के साथ वायरल करना शुरू कर दिया.

सऊदी प्रशासन के खुलासे के बाद इसकी सच्चई सामने आयी

सउदी अरब के Ministry of Islamic Affairs of Madinah के अफ़िशियल प्रवक्ता अब्दुल माजिद बिन ग़ालिब ने अपने बयान में बताया है कि सउदी अरब के यंबु अल बहर क्षेत्र के अल जबरिया मस्जिद में जुमा के दिन 2 मार्च को एक व्यक्ति जो कि मानसिक रोगी था, वह मस्जिद के मिंबर पर चढ़ कर ख़ुतबा देने लगा।

जब मस्जिद की इंतज़ामिया और प्रशासन को इस का पता चला तो उस व्यक्ति को वहाँ से हटाने की कोशिश की गयी। जब वो नहीं हट रहा था तो उसे ज़बरन हटाया गया। और बाद में मस्जिद के अधिकृत इमाम साहब ने ख़ुतबा दिया और जुमा की नमाज़ पढ़ायी।

सउदी पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ़्तार कर लिया। बाद में सउदी पुलिस को जब उस व्यक्ति के मानसिक रोगी होने की पुष्टि हो गयी तो उसे उसी दिन दोपहर के तीन बजे छोड़ दिया गया। यह सउदी का क़ानून है कि वहाँ के इमामों को एक जाँच पड़ताल और उनकी योग्यता को देखते हुए एक प्रकार का सरकारी पर्मिट दिया जाता है।

जिस व्यक्ति के पास वह सरकारी पर्मिट होता है, वही व्यक्ति ख़ुतबा दे सकता है या पब्लिक में तक़रीर कर सकता। अन्यथा कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति कहीं भी पब्लिक में तक़रीर नहीं कर सकता।

ऐसा इसलिए भी है की कोई भी कम जानकारी वाला व्यक्ति इस्लाम के बारे में अधकचरा ज्ञान वहाँ न बाँट सके। अगर आम जनता तक इस्लाम की बात पहुँचे तो किसी अच्छे जानकार के द्वारा ही पहुँचे। सोशल मीडिया के शूर वीरों से निवेदन है कि कुछ भी शेयर करने से पहले उसकी पड़ताल ज़रूर कर लें। सोशल मीडिया पर झूठ पेट्रोल की आग से भी अधिक तेज़ी से फैलता है। पोस्ट के कुछ अंश नेशनल स्पीक न्यूज़ पोर्टल से लिए गए हैं..

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