मुस्लिम महिलाएं बोलीं, हमें शरीयत कानून मंजूर है, इसमें छेड़छाड़ मंजूर नहीं

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तीन तलाक को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असवैधानिक करार दिया है। इस मामले पर मुस्लिम महिलाएं व उलमाओं ने अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया दी है.

लोगों ने जहां एक ओर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है वहीं कोई शरीयत के कानून को ही सर्वपरी करार दिया है। लोगों ने कहा कि कोर्ट का वह सम्मान करते हैं लेकिन वह कुरान के बताए हुए तरीकों पर ही चलेंगे.

इस्लाम में महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार प्राप्त है। मुस्लिम महिलाएं पूरी तरह से महफूज है। गुजरात के मोडासा में मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि उन्हें शरीयत कानून पसंद है और वे इससे खुश हैं. अगर इसमें फेरबदल करने का प्रयास किया तो उसका विरोध किया जाएगा।

इसके समर्थन में मुस्लिम महिला नेता सालेहा मलिक के नेतृत्व में महिलाओं ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है. इसमें 10 हजार मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे।

प्रदेश १८ की रिपोर्ट के अनुसार सालेहा मलिक का कहना है कि हम इस्लामी जीवन व्यवस्था से खुश हैं, हम इसमें कोई परिवर्तन नहीं चाहते. अगर ऐसा कुछ हुआ तो विरोध किया जाएगा।

 

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