और भलाई और बुराई (कभी) बराबर नहीं हो सकती तो (सख्त कलामी का) ऐसे तरीके से जवाब दो जो निहायत अच्छा हो (ऐसा करोगे) तो (तुम देखोगे) जिस में और तुम में दुशमनी थी (वो ऐसा बन जायेगा जैसे) वो तुम्हारा खास दोस्त है.
अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने अपने किसी भाई पर ज़ुल्म किया हो तो उसे चाहिए की इस से (दुनिया में) माफ़ करा ले, क्यूंकी आख़िरत में दीनार और दिरहम (रुपये पैसे)नही होंगे , इस से पहले (माफ़ करवा ले वरना) उसके भाई के लिए उसकी नेकियों में से हक़ दिलाया जाएगा और अगर उसके पास नेकिया नही होंगी तो उस (मज़लूम) भाई की बुराईयाँ उस पर डाल दी जाएगी. सही बुखारी, जिल्द 8, 6534
अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की मोमीन दोज़ख़् से छुटकारा पा जाएँगे लेकिन दोज़ख और जन्नत के दरमियाँ एक पूल है जहा उन्हे रोक लिया जाएगा और फिर एक दूसरे पर किए गये ज़ुल्मों का बदला लिया जाएगा जो दुनिया में उनके दरमियाँ हुए थे.
जब सब कुछ सॉफ और पाक हो जाएगा ( यानी सबको बदला मिल जाएगा) उसके बाद उन्हे जन्नत में दाखिल होने की ईजाज़त मिलेगी , उस ज़ात की कसम जिसके हाथ में मुहम्मद सलअल्लाहू अलैही वसल्लम की जान है जन्नतियों में से हर कोई अपने घर को दुनिया में अपने घर की मुक़ाबले में ज़्यादा अच्छी तरह पहचान लेगा
सही बुखारी, जिल्द 8, 6535
اور بھلائی اور برائی برابر نہیں ہو سکتی۔ تو (سخت کلامی کا) ایسے طریق سے جواب دو جو بہت اچھا ہو (ایسا کرنے سے تم دیکھو گے) کہ جس میں اور تم میں دشمنی تھی (وہ ایسا بن جائے گا )جیسے وہ تمہارا خاص دوست ہے-
القرآن،سورة فصلت(٤١)،آیت-٣٤
رَّبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّيَانِي صَغِيرًا
एह मेरे रब जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा. अल कुरान, सुरह अल-ईसरा , आयत 23-24
رَّبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّيَانِي صَغِيرًا
Eh Mere RABB jaise unhone ( mere maan baap ne) mujhe bachpan se paala hai isi tarah tu bhi un par raham farma. Surah Al-Isra (17), Verse 23-24
अल कुरान: और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा. अल कुरान, सुरह बनी इसराईल (17), आयत 23-24
हदीस: रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया वालिद (father) जन्नत का दरमियाना(बीच का)दरवाज़ा है इसलिए तेरी मर्ज़ी उसे जाया कर या मेहफ़ूज़ रख. जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1, 1959 (हसन)
हदीस: रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह सुब्हानहु की रजा वालिद ( या वाल्दैन ) की ख़ुशी में है और अल्लाह सुब्हानहु का गुस्सा वालिद(या वाल्दैन)की नाराज़गी में है. जामिया तिरमिज़ी, जिल्द 1, 1960 ( हसन )
हदीस: रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमस से बड़े (कबीरा) गुनाहों के बारे में पूछा गया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया.
1.अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना
2. वाल्दैन (माँ बाप) की नाफरमानी करना
3. किसी की जान लेना
4.और झूठी गवाही देना (ये सब कबीरा गुनाह हैं )
सही बुखारी , जिल्द 4, 2653