एक बड़ी साजिश के चलते पुराने ज़माने में अंग्रेजों ने मुस्लिम नवाबों और राजाओं को हमेशा अय्याश, देह्शात्गर्द, क्रूर और लापरवाह बनाकर दिखाया था, जबकि ये पूरा सच नहीं है क्योंकी पंचों उँगलियाँ एक बराबर नहीं होती, हालांकी उस वक़्त इक्का दुक्का राजा या नवाब अय्याश रहे होंगे लेकिन अक्सर अपने अवाम का ख्याल रखने वाले और अच्छे प्रशासक थे मुग़ल सल्तनत को चलाने वाले, जिसमे हमेशा हर धर्म, हर जाती का बराबर ख्याल रखा|
अंग्रेजों को इन नवाब या राजाओं का दुष्प्रचार करने का असली कारण ये था की उन्हें इन सारे नवाबों या राजाओं की सल्तनत को किसी भी तरह से हड़पना था और इसके लिए वो नवाबों के खिलाफ माहौल बनाते थे ताकि जब अंग्रेज़ उनकी सल्तनत को हड़प जाएँ तो अवाम उनसे किसी भी तरह की हमदर्दी न रखे और कोई आवामी विद्रोह अंग्रेजों के विरुद्ध खड़ा न होने पाये|
अंग्रेजों ने साजिश करके विरोधी शासकों के विरुद्ध झूठी अफवाह फैलाना और दुष्प्रचार करके उन्हें अकेला करने की कोशिश करना हर दौर में साम्राज्यवादी एजेंडे का अहम् हिस्सा रहा है और ये काफी हद तक सफल भी रहा जिसका नतीजा हम लोगों को आज तक देखने को मिल रहा है|
चाहे डेमोक्रेसी हो या राजतन्त्र हर जगह पहले इन अफवाह तंत्र का इस्तेमाल किया जाता है और बाद में ये अफवाह और झूठे इलज़ाम हमेशा के लिए इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं, बिलकुल ठीक उसी तरह से जैसा की आज के माहोल में प्रोपेगेंडा रचकर कोई अफवाह मुस्लिमों के खिलाफ या इस्लाम के खिलाफ रची जा रही है.
पहले भी और आज भी लोग हमेशा के लिए ग़लतफ़हमी में मुब्तला हो जाते हैं, और आज के वक़्त तो सोशल मीडिया को हथियार बनाकर ये काम सिर्फ कुछ ही घंटों में अंजाम दे दिया जाता है. और लोग उस फर्जी वीडियो या फोटोशॉप की हुयी तस्वीर को सच मान लेते हैं.