मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में एक शख्स है जो कि करीब चार साल से रोजाना करीब 300 लोगों को मुफ्त में भोजन करा रहा है ये रोजाना भूखे लोगो को खाना खिला कर उनका पेट भरते है इसके लिए उन्हें भरपूर दान भी मिलता है.
कोई भी व्यक्ति इनके यहाँ से भूखा नहीं जाता है इनका नाम मकबूल अहमद है इनकी खुद की ही अपनी चाय की दुकान है लेकिन फिर भी लोगो के लिए उनकी भूख से लड़ते है और उन्हें रवाना खाना खिलते है ये बिलकुल मुफ्त में इन लोगो कि मदद करते है मकबूल 2013 से ये काम कर रहे है.
मकबूल के भूखे लोगो को खाना खिलाने का काम 1 मई 2013 से शुरू किया था जो कि आज भी कर रहे है देखा जाये तो मकबूल के पास भी इतना पैसा नहीं है की वे लोगो को खाना खिला सके लेकिन फिर भी वे अपनी चाय की दुकान से होने वाले फायदे के पैसे को इन लोगो के लिए ही लगा दिया करते थे परन्तु अब ऐसा नहीं होता है अब अल्लाह की रसोई में इतनी बरकत होने लगी है कि यहाँ हजारो लोग भी रोज के आ जाये तो बिना भोजन के कोई नहीं जायेगा उनका कहना है.
कि में ये काम सिर्फ इस लिए करता हु ताकि दुनिया में अल्लाह के सभी बन्दों में से कोई भी भूखा न सोये. मकबूल ने बताया कि जब उन्होंने ये नेक काम शुरू किया था तब उनके पास पैसा नहीं था और न ही कोई उनके साथ था और पैसे कम पड़ने पर वे अपने घर से भी पैसे लेते थे.
लेकिन अब उनके साथ कई लोग जुड़ गए है जो कि उनकी मदद करते है और इस नेक काम में उनका साथ देते है अब न ही उन्हें पैसे कि कमी होती है और न ही साथ देने वालो कि लेकिन जब इन्होने ये काम शुरू किया था.
तब इस नेक काम का जिम्मा इनके ही ऊपर था ‘लंगर-ए-आम’ के नाम से उनकी रसोई चलती है. इस लंगर में पन्नी बीनने वाले, भिखारी, ठेले वाले और दूरदराज के गांवों से आए गरीब मजदूर जिन्हें शहर में अगर काम नहीं मिला तो वे यहां आकर पेट भर लेते हैं और फुटपाथ पर सो जाते हैं.
ये गरीब लोग इस नेक काम के लिए मकबूल को दुआएं दे रहे हैं मकबूल अहमद भले ही आर्थिक रुप से कमजोर हैं लेकिन इनका हौसला कमजोर नहीं है और जहां चाह वहां राह की तर्ज पर इनकी रसोई में दान देने वाले भी बढ़ते जा रहे हैं.