इन 3 घरों में अल्लाह का कहर कभी भी नाज़िल हो सकता है, एक खुतबे में ‘हज़रत अली’ फरमाते हैं…

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तीन घरों में अल्लाह का कहर कभी भी नाज़िल हो सकता है, अल्लाह को सख्त नफरत है इन तीन घरों से -जिस घर में औरत की आवाज मर्द की आवाज से उपर (तेज) हो जाए, उस घर को 70,000 फरिश्ते सारा दिन कोसते रहते हैं.

जिस घर में किसी के हक का मारा हुआ पैसा जमां हुआ हो और उसी मारे हुए हक के पैसों से उस घर की रोशनी ओ तकब्बुर हो – जिस घर के लोगों को मेहमानों का आना पसंद नहीं, हज़रत जिबरील ؑ फरमाते है उस घर की नमाज़ों का सवाब फरिश्ते लिखा नहीं करते अल्लाह तआला पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फरमाएं.
(आमिन ) इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है.
कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है.