इस एक दिन रोज़ा रखने वाले के लिए दोज़क की आग 70 साल के लिए हराम हो जाती है !

अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सललल्लाहू-अलैही-वसल्लम ने फरमाया की जो एक दिन रोज़ा रखे अल्लाह की राह में तो अल्लाह उसके मुँह को सत्तर (70) बरस की राह तक दोजख से दूर कर देता है.
सही मुस्लिम , जिल्द 3, 2713

आईशा रदी अल्लाहू अन्हा से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पीर (सोमवार) और जुमेरात (गुरुवार) को खास तौर पर रोज़ा रखते थे. जामे तिरमिज़ी , जिल्द 1, हदीस 723-हसन

حضرت ابو سعید خدری رضی اللہ تعالیٰ عنہ سے روایت ہے: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ فر ما تے ہو ئے سنا: جس نے اللہ کی راہ میں ایک دن کا روزہ رکھا اللہ تعا لیٰ اس کے چہرے کو ( جہنم کی ) آگ سے ستر سال کی مسافت تک دور کر دیتا ہے۔
صحیح مسلم جلد ۳ ۲۷۱۳

نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم پیر اور جمعرات کے روزے کی تلاش میں رہتے تھے
جامع ترمذی جلد ۱ ۷۲۳ حسن

Hadith: Jo ek din Roza rakhe Allah ki raah mein to Allah uske munh (face) ko sattar (70) baras ki raah tak dojakh se dur kar deta hai.

Abu Said khudri radi allahu anhu se rivayat hai ki Rasool-Allah Sallallahu-Alaihi-Wasallam ne farmaya ki jo ek din Roza rakhe Allah ki raah mein to Allah uske munh (face) ko sattar 70 baras ki raah tak dojakh se dur kar deta hai. Sahih Muslim , Vol3, 2713

Aisha Radhi allahu anha se rivayat hai ki Rasool-Allah Sal-Allahu alaihi wasallam peer (monday) aur jumairat (Thursday) ko khas taur se roza rakhte they. Jamia Tirmidhi , Vol 1, 723 – Hasan

जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की जब हम (किसी बुलंदी पर) चढ़ते तो अल्लाहु अकबर कहते और जब (नीचे की तरफ) उतरते तो सुबहान अल्लाह कहते. सहीह बुखारी, 2993

रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जिसने ये कलिमत कहे तो उसके गुनाह माफ़ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदान ए जंग से भाग गया हो अस्तगफिरुल्लाहल्लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल-कय्यूम वा अतुबू इलैही

तर्जुमा: मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगता हूँ जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हूँ. सुनन अबू दाऊद , जिल्द 1, 1504 -सही 

रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया जो अस्तिग्फार (तौबा) करने को अपने ऊपर लाजिम कर ले तो अल्लाह सुबहानहु उसको हर तंगी से निकलने का एक रास्ता अता फरमाएगा और हर गम से निजात देगा और ऐसी जगह से रोज़ी अता फरमाएगा जहाँ से उसको गुमान भी नहीं होगा. मुअज्जम अल कबीर तबरानी , सही