जब फरिश्तों ने कहा ए मरियम अल्लाह तुझको एक बेटे की अपनी तरफ से बशारत (खुशख़बरी) देता है उसका नाम मसीह ईसा इब्न मरयम होगा जो दुनिया और आख़िरत में मर्तबे वाला होगा और अल्लाह के मुक़र्रबो (खास बन्दों) में से होगा.
और जब वो माँ की गोदी में होगा और बड़ी उमर का होगा तो लोगों से बातें करेगा और नेको में से होगा मरियम ने कहा ए मेरे रब मुझे बेटा कैसे होगा हालाँकि मुझे किसी आदमी ने हाथ तक नही लगाया , फरमाया इसी तरह अल्लाह जो चाहे पैदा करता है जब किसी काम का इरादा करता है.
तो उसको यही कहता है की हो जा तो वो हो जाता है और वो (अल्लाह) उन्हे (ईसा अलैही सलाम को ) लिखना (पढ़ना) और दानाई (समझदारी) और तौरत और इंजील (गॉस्पेल) सिखाएगा.
और उनको (ईसा अलैही सलाम को) बनी इसराईल की तरफ रसूल बना कर भेजेगा (और वो कहेंगे की) बेशक मैं तुम्हारी रब की तरफ से तुम्हारे पास निशानियाँ लेकर आया हू की मैं मिट्टी से एक परिंदे की शकल बना देता हू फिर उसमें फूँक मारता हूँ और वो अल्लाह के हुक्म से उड़ता हुआ जानवर हो जाता है.
और जो मां के पेट से अंधे और कोड़ी होते हैं. उन्हे अच्छा कर देता हू और मैं तुम्हे बता देता हू जो कुछ तुम खाकर आओ और जो कुछ अपने घरों में रखकर आओ इसमें तुम्हारे लिए निशानियाँ है अगर तुम ईमान वाले हो और मुझसे पहली किताब जो तौरात है उसकी तस्दीक़ करने वाला हूँ.
ताकि तुम पर कुछ चीज़ें हलाल कर दूँ जो तुम पर हराम थी और तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ से निशानी लेकर आया हूँ इसलिए अल्लाह से डरो और मेरा कहा मानो, बेशक अल्लाह ही मेरा और तुम्हारा रब है इसलिए उसी की बंदगी करो यही सीधा रास्ता है. अल क़ुरान, सुरह आल-ए-इमरान (3), आयत 45-51