मुगलों और उनकी बनाई इमारतों को कोसना आसान है, अगर हिम्मत है तो इनसे बेहतर बनाके दिखाओ :अंजलि शर्मा

कुछ लोगों को बहुत आसान है मुगल बादशाहों को गालियां देना क्योंकि अब वे दोबारा नहीं आने वाले, और बहुत आसान है यह सब कहना कि ताजमहल को गद्दारों ने बनाया था. बहुत आसान है यह कहना कि इतिहास बदल देंगे.

मगर बहुत मुश्किल है वो करना जिससे कि लोगों का वर्तमान सुधर जाए. एक बात जानलो मुगलों ने जो इमारतें बनाई थीं वे सदियों से हज़ारों सालों से सर्दी, गर्मी, बरसात, धूप, और छांव सहन करने के बाद अब तक शान से खड़ी हुयी हैं.
जबकि आज की हुकूमतें (इनमे सभी दल शामिल हैं कोई एक नहीं) ये जो पुल, इमारतें और सड़कें बनाते हैं, इनमे से कुछ तो उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो जाती हैं, और बची खुची कुछ 3-5 सालों में.
मुझे बताइये क्या आपने कभी पढ़ा है कि बादशाह अकबर ने, शाहजहां ने या औरंगजेब ने फलां इमारत में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया था और उसके पैसे हजम कर गया ? ये इमारतें ही खुद गवाही दे रहीं हैं कि जो मुग़ल थे वो आज के नेताओं से कहीं ज्यादा ईमानदार थे.

हालांकि कुछ न कुछ कमियां सभी में होती हैं, और मुगलों में भी जरूर रही होंगी, क्योंकि वे कोई फरिश्ते तो थे नहीं वे भी हमारे जैसे ही इंसान थे. आज तो नेताओं और बड़े अफसरों की मौत के बाद अखबारों में तीये की बैठक के बड़े विज्ञापन छपते हैं और बड़े-बड़े स्मारक बना दिए जाते हैं.
लेकिन दुनिया पर हुकूमत करनेवाला एक बादशाह औरंगजेब था, जिसकी आज भी कच्ची कब्र है और वो भी खुले आसमान के नीचे, ज़रा सोचा है कभी अगर वो चाहता तो वो उसे सोने से मढ़वा सकता था.
ताजमहल, लाल किला और मुगलिया सल्तनत की इमारतों को कोसना बहुत आसान है. तुम लोगों में अगर इतनी ही हिम्मत है तो इनसे बेहतर बनाकर दिखाओ दुनिया को, मगर हम जानते हैं, आप ऐसा नहीं कर पाएंगे.

लिहाज़ा एक मश्वरा जो आपके लिए सही है, बड़ी बड़ी डींगे हांकना बंद करो और कुछ मानव जाती का भला हो ऐसी काम करो और सुनो जो मुगल छोड़ गए हैं न उसी में खुश रहना सीखें.! क्योंकि ये सब तुमसे न हो पाएगा ! तुम बस गोबर में कोहेनूर खोजो समझे 🙂