क़यामत के दिन रसूल उल्लाह की ऊँटनी की लगाम लेकर सबसे पहले जन्नत में जाने वाले बिलाल हब्शी को तपते हुए रेत पर लिटाकर कौड़े मारे जाते थे।

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हज़रत बिलाल हब्शी को जब जलते हुए रेत पर लिटा कर कोड़े मारे जा रहे थे तब रास्ते से गुज़रते हुए किसी शख़्स ने उनसे कहा कि:“बिलाल बड़ी अजीब कहानी है, तुम कोयलों पर लेटे हो, वह कोड़े मार रहा है और तुम मुस्कुरा रहे हो”तो हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हू ने हंस कर फ़रमाया:
जब तुम बाज़ार जाते हो और कोई मिट्टी का बर्तन भी ख़रीदते हो तो उसको भी ठोक-बजा के देखते हो कि इसकी आवाज़ तो ठीक है? कहीं कच्चा तो नहीं है..

बस मेरा मालिक(अल्लाह) बिलाल को ख़रीद रहा है, देख रहा है कहीं बिलाल कच्चा तो नहीं है.. मैं कहता हूँ ऐ मालिक ख़रीद ले बिलाल को, चमड़ी उधड़ भी जायेगी तब भी हक़-हक़ की आवाज़ ख़त्म नहीं होगी” (सुब्हान’अल्लाह)
हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैं अक्सर हदीसें सुनकर भूल जाता था एक मर्तबा मैंने ये बात हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को बताई तो आपने फ़रमाया कि अपनी चादर फैलाओ तो मैंने फैला दी फिर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने अपने दोनों हाथों को मिलाकर चुल्लु से कुछ डाला और कहा कि इसे अपने सीने से लगा लो तो मैंने ऐसा ही किया और उसके बाद से मैं कभी कोई बात नहीं भूला. बुखारी,जिल्द 1,सफह 515
जंगे खन्दक के रोज़ हज़रते जाबिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने 4 किलो जौ और एक बकरी का बच्चा ज़बह करके हुज़ूर की दावत की,और हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम अपने साथ 1000 असहाब को लेकर पहुंच गए और हज़रते जाबिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की बीवी से फ़रमाया कि इस गोश्त की हांडी को चूल्हे से ना उतरना और रोटी बनाने के लिए एक और औरत को बुलालो ये कहकर आपने आटे में और हांडी में अपना लोआबे दहन डाल दिया,हज़रते जाबिर फरमाते हैं कि सबने खाना खाया और फिर भी गुंधा हुआ आटा और हांडी में गोश्त वैसा की वैसा ही रहा और कुछ कमी ना हुई. बुखारी,जिल्द 2,सफह 589
एक जंग के मौके पर जब कि खाने के सामान की तंगी हुई तो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने 21 दाने खजूर पर कुछ पढ़कर दम किया और दस्तर ख्वान पर डाल दिए सबने शिकम सैर होकर खाया मगर खजूरें वैसी ही दस्तर ख्वान पर मौजूद रहीं.
तो आपने उन्हें एक पोटली में डालकर हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को दी और कहा कि जब भी तुम्हे खजूरों की ज़रूरत हो इसमें से हाथ डालकर निकाल लेना मगर कभी पलटना मत,हज़रत अब हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैंने ज़िन्दगी भर में उससे 120 कुन्टल खजूरें बरामद की मगर एक जंग के मौके पर वो थैली मुझसे ग़ुम हो गयी. खसाइसे कुबरा,जिल्द 2,सफह 51

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