इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को बड़ी बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनवाने का बेहद शौक़ था।
सद्दाम हुसैन की जीवनी लिखने वाले कॉन क़फ्लिन लिखते हैं कि सद्दाम हुसैन की बनवाई हुई मस्जिदों में से एक मस्जिद में उसकी खून से लिखे हुए क़ुरान रखी हुई है।
मस्जिद के मौलवी का कहना है कि इस क़ुरान शरीफ को लिखवाने के लिए सद्दाम हुसैन ने सालों तक अपना खून दिया था, जो कुल 26 लीटर होगा। क़ुरान शरीफ के 605 पन्ने हैं और उनकी नुमाईश के लिए क़ुरान शरीफ के सभी 605 पन्नों को शीशे के केस में सुरक्षित रखा गया है।
सद्दाम पर एक और किताब, ‘सद्दाम हुसैन- द पॉलिटिक्स ऑफ़ रेवें’ लिखने वाले सैयद अबूरिश का मानना है कि बड़े-बड़े महल और मस्जिदें बनवाने की वजह सद्दाम का बचपन था।
दरअसल उन्होंने अपना बचपन तिकरित में गुज़ारा था जहाँ उनके पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं हुआ करते थे।
इसके अलावा, सद्दाम हुसैन को तैरने का बहुत शौक़ था। वह सुबह तीन बजे उठकर तैरते थे। उनके महलों में स्विमिंग पूल और फव्वारों की भरमार रहती थी।
कफ़लिन लिखते हैं कि सद्दाम को स्लिप डिस्क की बीमारी थी। डाक्टरों ने उन्हें सलाह दी थी कि इसका सबसे अच्छा इलाज है कि वो खूब चहलकदमी और तैराकी करें। सद्दाम खान ने जिस क़ुरआन को अपने खून से लिखवाया उस कुरआन काफी नजदीक से बनाया हुआ वीडियो आप पूरा देखें और शेयर करें