साजिश और छल के बीच राम – मुहम्मद ज़ाहिद भाई का लेख ज़रूर पढ़ें और शेयर करें

उच्चतम न्यायालय के ऐसे आदेश के बावजूद बाबरी मस्जिद शहीद कर दी गयी और उच्चतम न्यायालय अंधे धृतराष्ट्र की तरह सिर्फ़ तमाशे बीन बना रहा, कुछ ना कर सका सिवाय इसके कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अदालत की अवमानना के आरोप में 1 दिन की पिकनिक जेल की सजा सुनाई। बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले सभी अपराधी आज सत्ता के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं और बाबरी मस्जिद को शहीद करने पर सर्वाजनिक मंचों से गर्व भरी घोषणा करते हैं और अदालत में पलटते हुए गुहार लगाते हैं कि उन पर “कांसपरेसी” का केस हटाया जाए, वह तो बाबरी मस्जिद को बचाने का प्रयास कर रहे थे।
अखिलेश सरकार के समय अयोध्या स्थित किसी भी प्रतिष्ठान को पत्थर लाने पर रोक थी और रोड परमिट फार्म-39 को प्रतिबंधित किया गया था। यह उच्चतम न्यायालय के आदेश “यथास्थिति बनाए रखने” के अनुकूल था जिससे बाबरी मस्जिद के स्थान को लेकर कोई साजिश और निर्माण की तैयारी ना की जा सके। सबका साथ-सबका विकास और टोपी-टीका में भेद ना करने का दावा करने वाली योगी सरकार आज अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को लाने की अनुमति दे चुकी है और फार्म-39 जारी कर चुकी है।
एनजीटी और उच्चतम न्यायालय के आदेश के सम्मान में अवैध स्लाटर हाऊस और एनजीटी के मानकों के विरुद्ध बकरा तक के मीट व्यापारियों की दुकानें बंद करा देने वाली योगी सरकार अयोध्या में उच्चतम न्यायालय के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश की धज्जियां उड़ा रही है। क्या टीका और टोपी में भेद ना करने की घोषणा करने वाले योगी जी अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनाने के लिए भी पत्थर लाने की अनुमति टोपी वालों को देंगें?
असंभव…
दरअसल योगी जी हों या मोदी जी या इनके सभी संगठन के लोग केवल अपने एजेन्डे को पूरा करते न्यायिक आदेश को ही स्वीकार करते हैं, और चुँकि न्यायालय भी अपने आदेश को क्रियान्वयन कराने के लिए सरकार के सामने ही दंडवत रहती है तो वह भी आज की परिस्थितियों में डरी ही रहती है कि कहीं उसका निर्णय ही अस्वीकार करके नक्कारखाने की तूती ना बना दिया जाए। आज उच्चतम न्यायालय तक असहाय है और जिस स्थान पर उसका यथास्थिति बनाए रखने का आदेश है उस स्थान के लिए होती साजिश पर भी वह असहाय और खामोश बैठी है।
दरअसल रामजन्म भूमि का मामला आस्था का है ही नहीं बल्कि दंभ जबरदस्ती और तालिबानी प्रवृत्ति का है, तालिबानी हुकूमत में बुद्ध की प्रतिमा तोड़ी गयी तो भाजपा हुकूमत में बाबरी मस्जिद। तालिबानी अपनी हुकूमत में बुद्ध की प्रतिमा बर्दाश्त नहीं कर सके और संघी भाजपाई एक मस्जिद। आस्था का मामला होता तो जिस जगह को राम जी के जन्मस्थान मानकर अयोध्या में ही पिछले 600 साल से पूजा जा रहा था मंदिर वहाँ बनाया जाता ना कि जंगल में स्थिति एक ऐसी जगह जहाँ बाबरी मस्जिद स्थिति थी और वहाँ पिछले 75-80 साल में अवैध रूप से मुर्ती रख कर श्रीराम जी को पैदा करा दिया गया।

समझना चाहिए कि 600 साल की आस्था सच्ची है या मात्र 75-80 वर्ष की आस्था

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि तुलसीदास रचित “रामचरित मानस” बाबरी मस्जिद के निर्माण के 55 वर्ष बाद लिखी गयी, जिसमें ना तो राम मंदिर का कोई उल्लेख है और ना ही उसे तोड़ कर मस्जिद बनाने का। वैसे तो “रामचरितमानस” महर्षि बाल्मीकि ने लिखी थी परन्तु यह भी सच है कि “राम” की महत्ता तुलसीदास के ही “रामचरित मानस” के लिखने के बाद हुई, और आज की अयोध्या मुगल काल में ही तुलसी दास के “रामचरित मानस” के अनुसार बनाई गयी और राम जानकी महल में स्थिति मंदिर में राम के जन्मस्थान को मान कर तबसे लगातार पूजा होती रही है।
वाल्मीकि के समाज के हाथ का छुवा तो कोई पानी भी नहीं पीता, उनकी लिखी “रामचरित मानस” भी इसी भावना के कारण प्रचलित नहीं हुई। राम एक ही स्थान पर जन्म ले सकते हैं, यह तय होना आवश्यक है कि उनके जन्म लेने की मान्यता जहाँ 600 साल से है वह सही है या जहाँ राजनैतिक कारणों से आज के समय पैदा किए उस जगह पर।
दरअसल उच्चतम न्यायालय पैदल हो चुका है और वह केवल निरिह गरीब लोगों पर अपना फैसला सुना कर उस अदालत के गौरवशाली इतिहास को खींच रहा है जिसने कभी देश की सबसे सशक्त प्रधानमंत्री के विरुद्ध फैसला सुना कर उनको जेल भेजा था। सब जगह बस दोगलापन है। श्रीराम भी इस छल और कपट के शिकार हैं जिसके विरुद्ध उन्होंने युद्ध करके सत्य को जीत दिलाई थी……।
“हे राम………………
(मोहम्मद जाहिद मीडिया एक्टिविस्ट हैं, इनकी लेखनी बेबाक है। मुहम्मद ज़ाहिद फेसबुक यूज़र हैं। यह लेख उनकी फेसबुक की टाइम लाइन से लिया गया है। इस पोस्ट के विचार पूर्णत: निजी हैं, इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी MuslimWorld.in स्‍वागत करता है । इस लेख से जुड़े सभी दावे या किसी प्रकार की आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है। ब्‍लॉग पोस्‍ट के साथ अपना संक्षिप्‍त परिचय और फोटो भी MuslimWorldWeb पर मेसेज भेजें।)