जब शेख हसीना वाजेद ने 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश का पद छोड़ दिया, तो दुनिया ने सिर्फ एक राजनीतिक नेता के इस्तीफे को नहीं, बल्कि एक पूरी इमारत के ढह जाने को देखा। 78 साल की उम्र में, जो दुनिया की सबसे लंबे समय तक चली महिला शासक बन चुकी थीं, वो अपने जीवन के सबसे खतरनाक दिनों के बाद फिर से बच निकलीं — लेकिन इस बार अपने देश से भागकर। उनका बचपन 15 अगस्त, 1975 को बदल गया था, जब उनके पिता, बांग्लादेश के संस्थापक अध्यक्ष शेख मुजीबुर रहमान, और उनके अधिकांश परिवार के सदस्य एक सैन्य तख्तापलट में मारे गए। शेख हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रहाना उस दिन जर्मनी में थीं। वो एकमात्र बचे हुए थीं।
एक विरासत का बोझ: बचपन का त्रासदी से शक्ति तक का सफर
शेख हसीना ने अपने जीवन के अधिकांश समय को अपने परिवार की हत्या के बदले में न्याय की खोज में बिताया। 1981 में, जब वो निर्वासित अवस्था में थीं, तो उन्होंने अवामी लीग की अध्यक्षता संभाली। वो अकेली नहीं थीं — उनके साथ था एक गहरा दर्द, एक अटूट इच्छा। 2010 में, जब उनके पिता की हत्या के लिए पांच सैनिकों को फांसी दी गई, तो बांग्लादेश के लाखों लोगों ने उन्हें न्याय की देवी कहा। लेकिन न्याय की यह छवि धीरे-धीरे बदल गई।
डिजिटल बांग्लादेश और अन्य उपलब्धियाँ: विकास का नया नाम
2009 में उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ, शेख हसीना ने एक ऐसा विजन लाया जिसे दुनिया भर में सराहा गया: डिजिटल बांग्लादेश। उन्होंने टेलीकॉम क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला, मोबाइल फोन की दर एक दशक में 10 गुना बढ़ाई, और डिजिटल पहचान प्रणाली लागू की। उन्होंने भारत के साथ 30 साल की गंगा जल साझा करने की समझौता किया — जो आज भी दोनों देशों के लिए एक स्थिर आधार है। उनके शासन के दौरान बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि दक्षिण एशिया में सबसे तेज रही।
निर्वाचन और दमन: जनता का विद्रोह क्यों बुलंद हुआ?
लेकिन विकास के पीछे एक अंधेरा छिपा था। 2014 के चुनाव में विपक्ष ने बहिष्कार किया, और अवामी लीग ने 300 में से 288 सीटें जीत लीं। 2019 में भी ऐसा ही हुआ। 2024 के चुनाव में भी विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया। लेकिन इस बार, जनता ने बहिष्कार नहीं किया — विद्रोह कर दिया।
जुलाई 2024 में, ढाका के छात्र नौकरशाही और बेरोजगारी के खिलाफ उठ खड़े हुए। उनकी आवाज़ तेज हुई। फिर बांग्लादेश के लाखों युवा, महिलाएं, और बुजुर्ग — सब ने एक साथ चिल्लाया: “हम नहीं चाहते शासन!”
शासन ने जवाब दिया — गोलियां। अखबारों में लिखा गया: 1,500 से अधिक लोग मारे गए। बांग्लादेश के न्यायालय ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के लिए दोषी ठहराया। उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
भारत का आश्रय: एक राजनीतिक भागीदार का बदला रिश्ता
2024 के अगस्त में, शेख हसीना ने अपने घर को छोड़ दिया। एक विमान ने उन्हें भारत ले जाया। अब तक, उनका ठिकाना अज्ञात है। भारत ने उन्हें आश्रय दिया — लेकिन ये आश्रय अब बोझ बन गया है। नई दिल्ली के विदेश मंत्रालय ने कहा: “हम बांग्लादेश की लोकतंत्रात्मक इच्छा का सम्मान करते हैं।”
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते अब एक जटिल खेल बन गए हैं। जब शेख हसीना शासन कर रही थीं, तो दोनों देशों के बीच बड़े समझौते हुए। अब भारत को नया बांग्लादेश के साथ रिश्ता बनाना होगा — बिना किसी राजनीतिक नेता के साथ।
एक नेता की विरासत: न्याय या बदला?
शेख हसीना की विरासत अब एक द्वंद्व है। एक ओर, वो वह लड़की थीं जिन्होंने अपने परिवार के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी। दूसरी ओर, वो वह नेता बन गईं जिन्होंने अपने देश के लोगों को दमन किया।
उनके शासन के दौरान बांग्लादेश ने आर्थिक रूप से अपना अहम दर्जा प्राप्त किया। लेकिन लोकतंत्र का दर्जा कमजोर हो गया। न्यायालय के फैसले के बाद, बांग्लादेश के नागरिकों को लगता है कि अब एक नया युग शुरू हो रहा है — जहां शक्ति किसी एक परिवार के हाथों में नहीं, बल्कि जनता के हाथों में होगी।
क्या अब बांग्लादेश का भविष्य अलग होगा?
अब बांग्लादेश में एक अस्थायी सरकार बनी है। अगले चुनाव 2026 में होंगे। लेकिन आज तक कोई नेता ऐसा नहीं है जो शेख हसीना के जैसा विरासत और नेतृत्व रखता हो। लोग अब चाहते हैं: न्याय, न कि बदला। लोकतंत्र, न कि एकाधिकार।
शेख हसीना ने अपने जीवन के अधिकांश समय को अपने पिता की याद में बिताया। लेकिन अब, वो याद उनके लिए एक भार बन गई है। उनके लिए अब सवाल ये नहीं कि वो कौन थीं — बल्कि ये कि बांग्लादेश क्या बनेगा, जब वो नहीं रहेंगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध क्यों ठहराया गया?
बांग्लादेश के न्यायालय ने 2024 के जुलाई विद्रोह के दौरान शासन द्वारा अत्यधिक बल के प्रयोग के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया। अधिकांश मौतें छात्रों और नागरिकों की थीं, जिन्हें बिना किसी आरोप के गोली मार दी गई। इन घटनाओं के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया, जिससे वो दुनिया के सबसे लंबे समय तक चले शासक बने रहे।
शेख हसीना का भारत में आश्रय क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत और बांग्लादेश के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग शेख हसीना के शासन के दौरान बहुत मजबूत था। अब भारत को नया बांग्लादेश के साथ संबंध बनाने होंगे, जबकि शेख हसीना के आश्रय को लेकर आंतरिक दबाव बढ़ रहा है। यह एक राजनीतिक द्वंद्व बन गया है।
2024 के चुनाव में विपक्ष ने बहिष्कार क्यों किया?
विपक्षी दलों ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष नहीं थे — चुनाव आयोग को शासन के नियंत्रण में रखा गया था, विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, और वोटिंग की प्रक्रिया में धोखाधड़ी के आरोप लगे। इसलिए विपक्ष ने चुनाव में भाग लेने से इनकार कर दिया।
शेख हसीना के बाद बांग्लादेश का भविष्य कैसा होगा?
अस्थायी सरकार ने 2026 तक नए चुनाव की घोषणा की है। अब बांग्लादेश के लोग एक ऐसे नेतृत्व की उम्मीद कर रहे हैं जो शक्ति को व्यक्तिगत विरासत के बजाय लोकतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित करे। यह एक ऐसा मोड़ है जहां बांग्लादेश को अपनी पहचान फिर से बनानी होगी।
शेख हसीना ने बांग्लादेश के लिए क्या बड़ी उपलब्धियाँ कीं?
उन्होंने गंगा जल साझा समझौता किया, टेलीकॉम क्षेत्र को निजीकृत किया, डिजिटल बांग्लादेश की नींव रखी, और 1971 के युद्ध अपराधियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल बनाया। इन उपलब्धियों ने उन्हें एक विकासशील नेता के रूप में दुनिया भर में मान्यता दिलाई।
क्या शेख हसीना को फांसी दी जाएगी?
अभी तक, बांग्लादेश का न्यायालय उन्हें मृत्युदंड की सजा सुना चुका है, लेकिन वो भारत में हैं और भारत उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगा। अगर वो कभी बांग्लादेश लौटती हैं, तो इस सजा का कार्यान्वयन संभव है। लेकिन अभी तक कोई ऐसा रास्ता नहीं है।