अल्लाह रहमान है, अल्लाह रहीम है, सूफी सम्मलेन में बोले मोदी, और तमाम इस्लाम से जुड़ी जानकारियां दीं

0
शेयर कीजिये

आप यकीन करिए कि “इस्लाम” के बारे में जितना मोदी जी जानते हैं उतना देश के 90% मुस्लिम भी नहीं जानते होंगें।
इस्लाम केवल दाढ़ी रख लेने और रट्टा मारने से नहीं समझा जा सकता। देखिए मोदी जी ने कभी क्या कहा था और अब योगी जी भी क्या कह रहे हैं.

पीएम ने कहा, ”हम वसुधैव कुटुम्बकम की भावना वाले देश हैं और हम एक परिवार की तरह रहते हैँ।” मोदी ने अपनी स्पीच के दौरान यह भी कहा, ”सबका उस दिल्ली में स्वागत जिसे अलग-अलग कल्चर ने बनाया है।” बता दें कि सूफी सम्मेलन में पाकिस्तान समेत 20 देशों के 200 से भी अधिक मशहूर सूफी विद्वान भाग ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड इस्लामिक सूफी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए काह कि ऐसे वक्त में जब दुनियां में चारों ओर हिंसा का घना अंधेरा बढ़ रहा है, सूफी पंथ एक नूर की तरह है जो मानवता की लोगों में उम्मीद जगाता है.
सीखो मुसलमानों इन दोनों से , भारत में कितना भी कम “सेकुलरिज़्म” हो पर यह पद पर बैठते ही कट्टर हिन्दुत्ववादी को इस्लाम की तारीफ करने को मजबूर कर देता है। मत दो गालियाँ “सेकुलरिज़्म” को बल्कि इसकी रह गयी कमियों को दूर करने के लिए काम करो। मज़ाक उड़ाना तो बहुत आसान है।
सम्‍मेलन में मोदी ने सूफीवाद को शांति की आवाज बताया और कहा कि इस्लाम का असली मतलब ही शांति है। ये भाईचारे का संदेश है। उन्होंने कहा रहमान और रहीम अल्लाह के ही नाम हैं। पीएम मोदी ने कहा कि सूफी लोगों के लिए खुदा की सेवा मतलब मानवता की सेवा करना है। अल्लाह के 99 नामों में से किसी भी नाम का मतलब हिंसा नहीं है। कई सूफी संतो का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि हिंसा के माहौल में सूफीवाद नूर है।

विश्व में बढ़ रही हिंसा पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आप सभी (सूफी स्कॉलर्स) अलग-अलग देशों से इस सम्मेलन में आए हैं। आप अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं। लेकिन आपका मकसद एक ही है, विश्व में शांति-भाईचारे के संदेश को बढ़ावा देना.
विश्व शांति के लिए भारत के योगदान की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भारत सिर से लेकर पैर तक शांति और सौहार्द का प्रतीक है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, धर्म को मानने वाले और न मानने वाले भी इस देश का अभिन्न हिस्सा हैं।’ उन्होंने सम्मेलन में आए लोगों से कहा, ‘आप सभी का उस धरती पर स्वागत है, जो हमेशा से ही शांति और संस्कृति का संगम रही है.

आतंकवाद और धर्म को एक-दूसरे से नहीं जोड़ने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसका मकसद हमें बांटना है और हमें इसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी  का भाषण शुरू होने से पहले कार्यक्रम में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगे.