जिब्रील अलैहि सलाम की तीन बद्दुआ और रसूल अल्लाह ﷺ का उस पर आमीन कहना

हज़रत अबू हुरैरा रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है एक दिन रसूल अल्लाह ﷺ ने मिंबर लाने का हुकुम दिया जब आप ﷺ ने पहली सीढ़ी पर क़दम सीढ़ी तो फरमाया आमीन !फिर दूसरी सीढ़ी पर क़दम रखा तो फरमाये: आमीन.

फिर तीसरी सीढ़ी पर क़दम रेखें तो फरमाया : आमीन ख़ुतबा से फारिग होने के बाद जब आप ﷺ मिंबर से नीचे तशरीफ़ लाए तो सहाबा रदी अल्लाहू अन्हुमा ने अर्ज़ किया आज आप ﷺ से ऐसे बात सुनी जो उस से पहले नही सुनी थी, आप ﷺ ने फरमाया हज़रत जिब्रील अलैहि सलाम तशरीफ़ लाए और कहाँ .

जिस ने रमज़ान का पूरा महीना पाया और वो (इबादत और तौबा के ज़रिए) अपने गुनाह नही बख़्शवा सका तो वो दोज़ख में दाखिल हुआ और अल्लाह सुबहानहु की रहमत से दूर हो गया आप उस पर आमीन कहिए, मैंने कहाँ आमीन.

फिर जब मैने दूसरी सीढ़ी पेर क़दम रखा तो हज़रत जिबराल अलैही सलाम ने कहा जिसके सामने उसके माँ बाप या दोनो में से एक बुढ़ापे की उमर को पहुँच जाए और वो उनकी खिदमत कर के जन्नत हासिल ना करे तो वो दोज़ख में दाखिल हुआ और अल्लाह सुबहानहु की रहमत से दूर हो गया आप उस पर आमीन कहिए, मैंने कहाँ आमीन.

फिर जब मैने तीसरी सीढ़ी पर क़दम रखा तो हज़रत जिबराल अलैही सलाम ने कहा जिसके सामने आप ﷺ का नाम लिया जाए और वो आप ﷺ पर दुरुद ना भेजे तो वो भी दोज़ख में दाखिल हुआ और अल्लाह सुबहानहु की रहमत से दूर हो गया आप उस पर आमीन कहिए, मैंने कहाँ आमीन.

सही इब्न हिब्बान, 915 हसन
सही अल-तरगीब, 1679-सही
शुब्बुल ईमान , बैहिक़ी 3343 हसन