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हम किस्मत वाले हैं कि, हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के उम्मती है। क्योंकि जितनी मेहरबानियाँ अल्लाह ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत पर की उतनी किसी भी उम्मत पर नहीं की। इसलिए हमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के उम्मती होने पर अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए.
आज हम आपसे जिस बारें में बात करने जा रहे हैं वह यह है कि, अल्लाह ता’ला ने कुरान में जितनी भी जगह फ़रमाया है तो सिर्फ यही फ़रमाया है कि, अल्लाह के अलावा किसी भी दुसरे से मदद मत मांगो और अल्लाह के अलावा किसी भी गैरुल्लाह को मत पुकारों.
अगर कोई भी अल्लाह के सिवा किसी दुसरे खुदाओं को पुकारता है तो वह शिर्क करता है और शिर्क करने वाला कभी जन्नत में दाखिल नहीं होगा। इसलिए अल्लाह ने सुरह फातिहा में भी फ़रमाया कि, हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद चाहते हैं.
(सुरह फातिहा= आयत नंबर 5) इस आयत में अगर आप गौर लगाकर इसे पढ़े तो आप इस आयत से ही समझ जायेंगे कि, अल्लाह ही से मदद मांगनी चाहिए और अल्लाह से सब कुछ मांगना चाहिए। क्योंकि सब कुछ देने वाला अल्लाह है और वह देने की जात में अकेला मालिक है.
आज हम आपको बताने जा रहे हैं खजूर की गुठली के ऊपर चढ़ी हुई चादर के बारें में। इसके बारें में अल्लाह ता’ला ने फ़रमाया कि, “जिन्हे तुम उसके(अल्लाह के) सिवा पुकार रहे हो वोह तो खजूर की गुठली के छिलके के भी मालिक नही” (सुरह फातिर आयत नंबर= 13) खजूर के अंदर से एक गुठली निकलती है.
और इस गुठली मे एक लकीर सी होती है। इस लकीर पर एक बारीक सा छिलका होता है। इस छिलके को अरबी मे “कतमीर” कहते है. अल्लाह ता’ला इसी का उदाहरण देकर हमें कुरान के जरिये बता रहा है कि, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो वह इस छिलके के भी मालिक नहीं है.
लेकिन आजकल देखने को मिलता है कि, लोग अल्लाह के सिवा दूसरों से मांगते हुए नजर आते हैं। हमारे बीच ऐसे भी मुसलमान मौजूद है जो अल्लाह के शिर्क करते हुए नजर आते हैं। अगर कोई इस आयत पर गौरोफिक्र करें तो वह अल्लाह के सिवा कभी भी किसी भी दुसरे झूठे खुदाओं से मदद नहीं चाहेगा.
इसके अलावा अल्लाह ता’ला सुरह बकरह की आयत नंबर 165 में फरमाता है कि, और बाज़ लोग ऐसे भी हैं जो अल्लाह के सिवा औरों को भी अल्लाह का मिसल व शरीक बनाते हैं (और) जैसी मोहब्बत अल्लाह से रखनी चाहिए वैसी ही उन से रखते हैं.
इस आयत से साफ़ जाहिर है कि, अल्लाह ही खालिक, मालिक राजिक और पालनहार है। इसलिए हमें अपनी हर सुख-दुःख के समय में सिर्फ और सिर्फ अल्लाह को ही पुकारना चाहिए. यह पोस्ट सीधा मुस्लिम पत्रिका से बिना एडिट की पब्लिश की गयी है.
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