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नई दिल्ली – दुनिया आज आवाज के जादूगर मोहम्मद रफी का जन्म दिन मना रही है। दो अलग अलग क्षेत्रों की महान शख्सियत मोहम्मद अली (बॉक्सिंग) और मोहम्मद रफी (गायन) के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि जब ये दोनों शख्सियत आपस में मिले तो कैसा रिएक्शन रहा था।
दरअस्ल मोहम्मद रफ़ी को बॉक्सिंग के मुक़ाबले देखने का बहुत शौक था और मोहम्मद अली उनके पसंदीदा बॉक्सर थे. बात 1977 की है जब मोहम्मद रफ़ी एक शो के सिलसिले में शिकागो गए तो आयोजकों को रफ़ी के इस शौक के बारे में पता चला.
इस शो के आयोजकों रफ़ी और अली की एक मुलाक़ात कराने की कोशिश की लेकिन यह इतना आसान काम भी नहीं था. लेकिन जब अली को बताया कि रफ़ी भी गायक के रूप में उतने ही मशहूर और शोहरतयाफ्ता हैं जितना कि वह एक बॉक्सर के रूप में हैं, तो अली उनसे मिलने के लिए तैयार हो गए. फिर इन दो महान शख्सियतों की मुलाकात हुई, और रफ़ी ने बॉक्सिंग पोज़ में मोहम्मदअली के साथ तस्वीर खिंचवाई.
ऐसा था आवाज़ का जादू
मोहम्मद रफी की आवाज़ के जादू को भला कौन भुला सकता है, चार फ़रवरी 1980 को मोहम्मद रफ़ी को श्रीलंका की यौम ए आजादी के मौके पर श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक शो के लिए आमंत्रित किया गया था. उस रोज़ उन्हें सुनने के लिए 12 लाख कोलंबोवासी इकट्ठा हुए थे, इतने सारे लोगों का एक साथ जमा होना उस वक्त का विश्व रिकार्ड था।
इस कार्यक्रम का उद्धाटन श्रीलंका के राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने और प्रधानमंत्री प्रेमदासा को करना था और तुरंत उन्हें वहां से निकल जाना था, लेकिन यह मोहम्मद रफ़ी का जादू ही था कि, उन्होंने इन दोनों बड़े नेताओं को वहां रुकने पर मजबूर कर दिया और वे कार्यक्रम के समापन तक वहीं डटे रहे।
मोहम्मद रफ़ी की आदतों में शुमार था कि जब वह विदेश के किसी शो में जाते थे तो वहां की भाषा में एक गीत ज़रूर सुनाते थे. उस रोज़ कोलंबो में भी उन्होंने श्रीलंका की भाषा सिंहला में एक गीत सुनाया. उन्होंने उसके बाद हिन्दी गीत सुनाना शुरु किया वहां पर मौजूद भीड़ बेकाबू हो गई, यह मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ का ही जादू था जिस भीड़ में शायद ही कोई हिन्दी जानता हो वह उस आवाज़ पर पूरी तरह से फिदा थी जो उसकी भाषा की आवाज़ ही नहीं थी।
बीबीसी पर प्रकाशित रेहान फज़ल की रिपोर्ट के मुताबिक अगर एक गीत में इज़हार-ए-इश्क़ की एक सौ एक विधाएं दर्शानी हों तो आप सिर्फ़ एक ही गायक पर अपना पैसा लगा सकते हैं और वो हैं मोहम्मद रफ़ी.
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