अल्लाह के रसूल फरमाते हैं, जिसने इस दुआ को पढ़ा और उसी दिन उसकी मौत हो गयी तो वो जन्नत का हक़दार होगा

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शद्दाद बिन औस रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया सय्यद-अल-अस्तिगफार: अल्लाह से मगफिरत मांगने का सबसे अच्छा तरीक़ा ये है.

जिसने इस दुआ के अल्फाज़ पर यकीन रखते हुए दिन में इसको पढ़ लिया और उसी दिन शाम होने से पहले उसकी मौत हो गयी तो वो जन्नती है और जिसने इस दुआ के अल्फाज़ पर यकीन रखते हुए रात में इसको पढ़ लिया और फिर सुबह होने से पहले उसकी मौत हो गयी तो वो जन्नती है.

✦ अल्लाहुम्मा अन्ता रब्बी ला इलाहा इल्ला अन्त , खलकतानी व अना अब्दुका
व अना अला अहदिका व वाअदिका मा असतताअत ,
आऊज़ुबिका मिन शर्री मा सनाअत ,
अबू-उ-लाका बिनीमतिका अलय,
व अबू-उ बीज़म्बी,
फगफिरली फइन्नहू ला यग्फिरुज़-ज़ुनुबा इल्ला अन्त

तर्जुमा : एह अल्लाह तू मेरा रब है तेरे सिवा कोई माबूद नहीं , तूने ही मुझे पैदा किया है और मैं तेरी ही बंदा हूँ , मैं अपने ताक़त के मुताबिक़ तुझसे किये हुए अहद और वादे पर क़ायम हूँ , मैं तुझसे उस चीज़ की शर (बुराई) से पनाह मांगता हूँ जिसका मैंने इरतकाब किया, मैं तेरे सामने तेरी नेमतों का इकरार करता हूँ जो मुझे अता की हैं और मैं अपने गुनाहों का इकरार करता हूँ ,तू मुझे माफ़ कर दे , बेशक तेरे सिवा गुनाहों को कोई माफ़ करने वाला नहीं है. सही बुखारी जिल्द 7 हदीस 63

Bismillahirrahmanirrahim

✦ Shaddad bin Aws Radi Allahu anhu se rivayat hai ki Rasool-Allah Sallallahu Alaihi Wasallam ne farmaya Sayyad-Al-Astigfar

(Allah se maghfirat maangne ka sabse achcha tariqa ) ye hai, jisne is dua ke alfaaz par yaqeen rakhte huye din mein inko padh liya aur usi din shaam hone se pahle uski maut ho gayee to wo jannati hai, aur jisne is Dua ke alfaaz par yakeen rakhte huye Raat mein inko parh liya aur phir uska subah hone se pahle uski maut ho gayee to wo jannati hai.

✦ Allahumma anta Rabbi la ilaha illa anta,
Khalaqtani wa ana abduka,
wa ana ‘ala ahdika wa wa’dika mastata’tu,
Awuzu bika min sharri ma sana’tu,
abu’u Laka bini’matika ‘alaiya,
wa Abu’u bizambi
fagfirli fa innahu la Yagfiru-az-zunuba illa anta.

✦ (Tarjuma : Eh Allah tu mera RAB hai, tere siwa koi mabud nahi, tune hi mujhe paida kiya hai aur main tera hi Banda hu, main apni taqat ke mutabiq tujhse kiye huye Ahad aur wade par qayam hun, main tujhse us cheez ki shar ( burayee) se panah maangta hu jiska maine irtaqab kiya ,main tere samne teri naimaton ka iqrar karta hu jo tune mujhe ata ki, Aur main apne gunahon ka bhi iqrar karta hun, tu mujhe maaf kar de , beshak tere siwa gunahon ko koi maaf karne wala nahi) ✦ Sahih Bukhari, Vol 7, 6306

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