शेर शाह सूरी ने वो कर दिखाया, जो विकास का दावा करने वाला दूसरा नेता कभी नहीं कर सकता

शेयर करें
  • 7.1K
    Shares

गुरदीप सिंह सप्पल की फेसबुक वाल से

कितने लम्बे होते हैं पाँच साल

शेर शाह सूरी (1540 -1545)

शेर शाह सूरी ने पाँच साल, पाँच दिन राज किया था। इस बीच वो 31 महीने युद्धों के कारण राजधानी दिल्ली से दूर रहे। बावजूद इन युद्धों के, इन पाँच सालों में उन्होंने जो जो कर दिखाया, उस पर एक नज़र:-

  1. पूरे राज्य में ज़मीन के सर्वे और मपाई का सिस्टम शुरू किया। खेती की ज़मीन को नापने के लिए 39 इंच के लोहे की छड़ का स्टैंडर्ड तय किया, जिसे गज़ कहा गया। (सिकंदर गज़ नाम की इस छड़ का सिस्टम आज तक इस्तेमाल होता है)
  2. ज़मीन की ख़रीद फ़रोख़्त के लिए ‘पट्टा’ सिस्टम शुरू किया।
  3. रुपया शुरू किया, जो 178 रत्ती का चाँदी का सिक्का था। एक रुपया 64 दाम का था। इसी दाम को बाद में ‘आना’ कहा गया।
  1. करेन्सी के लिए तय स्टैंडर्ड के सोने, चाँदी और काँसे के सिक्के शुरू किए।
  2. 47 जिले बनाए, जिन्हें सरकार कहा जाता था। हर जिले यानि सरकार में एक फ़ौजी अफ़सर (शिक़दर-ए-शिक़दरान) और एक सिविल अफ़सर (मुंसिफ़) नियुक्त किया। ये आज की SP और DM की प्रणाली की तरह है।
  1. खेती की ज़मीन को अच्छा, औसत और बुरा की श्रेणियों में बाँटा और उसी अनुसार लगान तय किया।
  2. किसानों के लिए क़र्ज़ (तक़ावी) की व्यवस्था शुरू की।
  3. व्यापार में दो टैक्स व्यवस्था बनायी- एक टैक्स राज्य में समान के प्रवेश पर और एक दुकान पर समान की बिक्री पर- यानी आज का कस्टम टैक्स और सेल टैक्स । बाक़ी सभी टैक्स ख़त्म कर दिए ।
  4. शासन की कैबिनेट व्यवस्था बनायी, जिसमें वित्त मंत्री (दीवान-ए-वजीरत), रक्षा मंत्री (दीवान-ए-अर्ज़), विदेश मंत्री (दीवान-ए-रसालत), संचार मंत्री (दीवान-ए-इंशा) बनाए गए थे। लेकिन सारे फ़ैसले ख़ुद शेर शाह के स्तर पर एप्रूव होते थे।

 

  1. ज़्यादातर जगहों में जागीरदारी सिस्टम की जगह रयतवारी सिस्टम शुरू किया। जागीरदारी वंशवाद पर आधारित थी, जबकि रयतवारी में सरकार तनख़्वाह पर अफ़सर नियुक्त करती थी, आज के IAS सिस्टम की तरह।
  2. हर जिले या सरकार में रेवेन्यू अदालतें बनायी, जिसमें मुंसिफ़ (आज के DM) रेवेन्यू केस में जज की भूमिका में होते थे।
  3. हर जिले या सरकार में फ़ौजदारी अदालतें भी बनायी, जिसमें शिक़दर (आज के SP) क्रिमिनल केस में जज की भूमिका में होते थे।
  4. फ़ौज का नया सिस्टम बनाया, जिसमें फ़ौजियों के विस्तृत रेकार्ड , घोड़ों को दाग़ कर निशानदेही की व्यवस्था, उनकी भर्ती और यूनिट की व्यवस्था शुरू की। यही सिस्टम बाद में मनसबदारी में विकसित हुआ, जो बाद के रेजिमेंट सिस्टम की तरह था।
  5. 1700 सरायें बनायीं।
  1. डाक व्यवस्था शुरू की।
  2. GT रोड बनवायी, जो पेशावर से सोनारगाँव, बांग्लादेश तक 3000 किमी लम्बी थी।
  3. आगरा से जोधपुर, आगरा से बुरहानपुर, लाहौर से मुलतान के हाइवे बनवाए।
  4. सभी महत्वपूर्ण सड़कों पर फलदार या छायादार पेड़ लगवाए।
  1. यात्रियों की सुरक्षा की जवाबदेही गाँव के मुखिया और लोगों की तय की। अगर यात्री के साथ लूटपाट हो जाए तो गाँव के लोग या तो अपराधी को पेश करें या फिर मिल कर यात्री के आर्थिक नुक़सान की भरपायी करें।

क़त्ल के केस में यदि गाँव के बड़े क़ातिल नहीं ढूँढ सके तो सज़ा मुखिया को मिलती थी। इसी कारण यात्रा करना काफ़ी सुरक्षित हो गया था ।

दिल्ली का पुराना क़िला, रोहतासगढ़ क़िला और कई बिल्डिंग बनवायीं। (गुरदीप सिंह सप्पल राज्य सभा टीवी के सीईओ रह चुके हैं। वह मीडिया में कई सालों से सक्रिय हैं)

Comments

comments