दुनिया में ऐसी बहुत-सी इमारतें हैं जो अपनी कारीगरी, चित्रकारी के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। ऐसी ही एक इमारत है ईरान के शिराज़़ प्रांत की ‘नासिर अल-मुल्क मस्जिद।
बाहर से देखने पर तो यह मस्जिद, एक साधारण मस्जिद जैसी ही दिखाई देती है। लेकिन इस मस्जिद के वास्तुकारों ने इसे ऐसे बनाया है कि जैसे ही उगते हुए सूरज की किरणें इस पर पड़ती हैं, अंदर जन्नत का सा नज़ारा प्रकट होता है.
एक ऐसा नज़ारा जिसे शब्दों में बताना मुमकिन नहीं है, इसकी भव्यता और खूबसूरती को केवल देख कर ही महसूस किया जा सकता है। एक ऐसा नज़ारा जहां, चाहे आप कितने ही नास्तिक क्यों न हों, आपके हाथ अपने आप ख़ुदा की इबादत में उठ जाएंगे, ऐसा लगता है मानो आप किसी अलग ही दुनिया में, ख़ुदा के घर में आ गए हों.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस मस्जिद के सामने वाले हिस्से में रंगीन कांच की जड़ाई का काम हुआ है। जब उगते हुए सूर्य की किरणें इन कांचों से छनकर अंदर मस्जिद के फर्श पर बिछे पर्शियन कारपेट पर पड़ती हैं तो मस्जिद के अंदर तिलिस्म-सा नज़ारा उत्पन्न होता है। यह नज़ारा मस्जिद में सुबह के कुछ घंटे ही रहता है.
इस मस्जिद की एक और ख़ासियत है.. इसकी दीवारों, गुम्बदों, और छतों पर हुई रंगीन चित्रकारी जिसमें गुलाबी रंग का अधिकता से प्रयोग किया गया है इसलिए इसे ‘गुलाबी मस्जिद’ भी कहा जाता है.
नासिर अल मुल्क मस्जिद ईरान के शिराज प्रांत में है। इस मस्जिद का निर्माण ईरान के शासक ‘मिर्जा हसन अली नासिर अल मुल्क’ ने करवाया था। मिर्जा यहां के कजर वंश के राजा थे। यह मस्जिद सन् 1876 से 1888 के बीच बनी थी। मस्जिद का डिज़ाइन मोहम्मद हसन-ए-मिमार और मोहम्मद रज़ा ने बनाया था.