मोदी को लेना चाहिए सीख , सम्राट अकबर के 44 वर्षों के साशनकाल में एक भी सांप्रदायिक घटना नहीं – रूप किशोर राजपूत

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भारत में अनेक राजा महाराजा हुए हैं जिनके किस्से पढ़ कर प्रेरणा हासिल की जा सकती है, चन्द्रगुप्त मौर्य, समुद्रगुप्त, अशोका स्वम भगवान् राम जिनके राज को संघ भारत में लागू करना चाहता है| अगर भारत में संघ हकीकत ही में राम राज लाना चाहता है तो उसे अपने नेताओं को वह पथ पढ़ाना चाहिए जिस के दुवारा भारत में अनेक बार राम राज स्थापित हुआ था, महान सम्राट अशोक ने हिंसा और राज पाठ त्याग कर सत्य अहिंसा के मार्ग को चुना और वास्तव में राम राज की कल्पना को साक्षात् रूप दिया, मुग़ल बादशाह अकबर महान ने भारत पर पूरे 44 वर्षों तक राज किया,

अकबर के प्रधान सेना पति राजा मान सिंह हिन्दू धर्म थे, अकबर के वित्य मंत्री राजा टोडरमल हिंदू धरम से थे, अकबर के मुख्या सलाहकार और प्रधानमंत्री राजा बीरबल हिन्दू थे, अकबर की सेना में उच्च पदों पर हिन्दू पदासीन थे, अकबर के 44 वर्षों के साशनकाल में कोई एक भी सांप्रदायिक घटना नहीं घटी थी, हिन्दू मुस्लिम के बीच कोई भी टकराव का उदाहरण नहीं मिल सकता, समस्त मुस्लिम राजाओं और मुग़ल साशकों के समय में धरम आधारित सत्ता नहीं थी| न ही कोई भेदभाव था| इतिहास में उस समय को भारत का ‘गोल्डन एरा’ स्वर्ण काल कहा जाता है|

भारत के इतिहास में शेरशाह सूरी जिनका की वास्तविक नाम फरीद था हमेशा देश हित में किये गए ऐतिहासिक करों के लिए अमर हो चुके हैं, शेरशाह को बहुत अधिक समय राजकाज करने के लिए नहीं मिला था केवल 6 वर्षों तक के अपने राज में वह मात्र 3 महिने राजधानी दिल्ली में रहे थे, शेरशाह ने भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक सड़कों का निर्माड करवाया था, सड़कों के किनारे पेड लगवाए थे, हर दो मील के बाद सराय बनवायी थी जहाँ मुसाफिर रात में रुक सकते थे, दूरी का अनुमान लगाने के लिए ‘कोस मीनार’ बनवाये थे, अनेक बाग़ भी इसके राज में लगाए गए|

भारत में कोई एक भी राजा महराजा नहीं हुआ जिसने राज करने के लिए धर्म का सहारा लिया हो या राज करते समय धर्म के नाम पर नीतियों को बनाया हो, किसी एक भी हिन्दू अथवा मुस्लिम राजा ने धर्म के विस्तार के लिए अपनी सत्ता का उपयोग नहीं किया था|

अकबर को इतिहासकार एक मत से विश्व का सबसे महान राजा कहते हैं, अकबर की महानता के अनेक प्रमाण हैं| अकबर ने राणा प्रताप के निधन पर दुःख प्रकट किया था और बाद में उसके पुत्र अमर सिंह की अपनी सेना में सेनापति के पद पर नियुक्ति दी थी|

भारत का शानदार इतिहास रहा है, अंग्रेज़ों के आने के बाद भारत में समस्याओं ने जन्म लेना प्रारम्भ किया और आज जो सम्प्रदायकता भारत में है वह भारतीय जानमानस को अंग्रेज़ों की देन है|

-रूप किशोर राजपूत
सह.संपादक तीसरी जंग हिंदी

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