रहमतों की बारिश: नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

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नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को समर्पित एक कलाम

रहमतों की बारिश…

मेरे मौला !

रहमतों की बारिश कर

हमारे आक़ा

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर

जब तक

कायनात रौशन रहे

सूरज उगता रहे

दिन चढ़ता रहे

शाम ढलती रहे

और रात आती-जाती रहे

मेरे मौला !

सलाम नाज़िल फ़रमा

हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

और आले-नबी की रूहों पर

अज़ल से अबद तक…

ईद मिलाद-उन-नबी पर विशेष

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को समर्पित कलाम…

अक़ीदत के फूल…

मेरे प्यारे आक़ा

मेरे ख़ुदा के महबूब !

सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

आपको लाखों सलाम

प्यारे आक़ा !

हर सुबह

चमेली के

महकते सफ़ेद फूल

चुनती हूं

और सोचती हूं-

ये फूल किस तरह

आपकी ख़िदमत में पेश करूं

मेरे आक़ा !

चाहती हूं

आप इन फूलों को क़ुबूल करें

क्योंकि

ये सिर्फ़ चमेली के

फूल नहीं है

ये मेरी अक़ीदत के फूल हैं

जो

आपके लिए ही खिले हैं

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