मछली के यूनुस अलैही सलाम को निगलने का क़िस्सा

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साद रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया क्या मैं तुमको ऐसी दुआ ना सिखाऊ जिसको कोई रंज और गम और आज़माईश में मुब्तला शख्स पढ़े तो उसकी तकलीफ़ दूर हो जाए, उन्होने कहा ज़रूर सिखाईये तो आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया वो दुआ ज़ुन-नून (मछली वाले यानी यूनुस अलैही सलाम ) की है.

لَّا إِلَـٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ

ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नी कुन्तु मिन अज़ ज़ालिमिन (या अल्लाह) तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नही , तू पाक है (और) बेशक में क़ुसूरवार हूँ. अल सिलसिला अस साहिहा 2784, मसनद अहमद 1/170 –सही

अल क़ुरान: फिर मछली ने उनको ( यूनुस अलैही सलाम) को निगल लिया , और वो मलामत करने वाले थे फिर अगर वो ( अल्लाह की) तसबीह बयान नही करते, तो उस रोज़ तक जब लोग दोबारा उठाए जयांगे ( यानी क़यामत तक) उसके पेट में ही रहते. सुरह साफ्फात (37) , 142-144

अल क़ुरान: और ज़ुन-नून (यूनुस अलैही सलाम को याद करो ) जब वो (अपनी क़ौम से नाराज़ होकर) गुस्से की हालत में चल दिए और ख़याल किया की हम उन पर क़ाबू नही पा सकेंगे आख़िर अंधेरे में (अल्लाह को) पुकारने लगे की.

لَّا إِلَـٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ

ला इलाहा इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नी कुन्तु मिन अज़ ज़ालिमिन (या अल्लाह) तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नही , तू पाक है (और) बेशक में क़ुसूरवार हूँ. तो हमने उनकी दुआ क़ुबूल कर ली और उनको गम से निजात बख़्शी और ईमान वालों को हम इसी तरह निजात देते हैं. सुरह अल-अन्बिया (21), आयत 87

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